शहरों में ऑफिस-ऑफिस, किराए हुए फिस्स

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:45 AM IST

अगली तीन से चार तिमाहियों में मेट्रो शहरों में ऑफिसों के लिए अधिक किराया चुकाने की जरूरत नहीं होगी।
मांग की तुलना में आपूर्ति अधिक होने की वजह से आने वाले कुछ समय में तो ऑफिस के लिए उपलब्ध जगहों के किराये बढ़ने की उम्मीद नहीं है।
नाइट फ्रैंक इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2009-11 में देश के 7 बड़े शहरों में 18.31 करोड़ वर्ग फुट ए ग्रेड ऑफिस स्पेस और उपलब्ध होगा जबकि मांग तकरीबन 12.24 वर्ग फुट ही रहने का अनुमान है।
अगर इस अंतरराष्ट्रीय रियल एस्टेट कंसल्टेंट कंपनी की मानें तो अगले कुछ महीनों में मुंबई में किराया घटेगा और अगले साल की दूसरी छमाही में तो शहर में किराया अपने निचले स्तर पर पहुंच जाएगा।
वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में तो मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही किराया घटकर अपने निचले स्तर को छू सकता है। इन दोनों ही जगहों पर किराया अगले साल की पहली छमाही में 40 से 60 फीसदी के बीच कम हो सकता है। इन शहरों में किराया 2007-08 में आसमान छू रहा था।
नाइट फ्रैंक ने किराए का अनुमान लगाने के लिए पिछले 15 सालों के जीडीपी, आईआईपी अनुमान, उपभोक्ताओं को रवैया और मांग और आपूर्ति के संतुलन को ध्यान में रखा गया है। इस मॉडल के बारे में नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष प्रणय वकील ने बताया कि मॉडल को ‘फोर रनर’ का नाम दिया गया है।
कंपनी के अनुमान के मुताबिक गुड़गांव में किराया मौजूदा 51 रुपये प्रति वर्ग फुट से घटकर वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 44 रुपये तक पहुंचने की संभावना है। कंपनी ने यह अनुमान भी जताया है कि इसके बाद तकरीबन एक साल तक किराया इतना ही बना रहेगा। 
वर्ष 2007-08 में किराया प्रति वर्ग फुट 120 रुपये के साथ रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। कुछ इसी तरह नोएडा में भी 2007-08 में किराया 90 रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गया था जो अब घटकर 44 रुपये तक पहुंच गया है।

First Published : May 4, 2009 | 5:57 PM IST