कैलास मानसरोवर यात्रा के बाद भारत-तिब्बत सीमा व्यापार भी पेइचिंग ओलंपिक खेलों से प्रभावित हुआ है।
पिथौरागढ़ के जिलाधीश बी एस गुसांई ने बताया कि यह व्यापार इस साल जून में शुरू होना था, लेकिन पेइचिंग ओलंपिक की वजह से इसे टाल दिया गया और अब उम्मीद की जा रही है कि यह व्यापार 19 अगस्त से शुरू हो सकता है।
हाल में व्यापारियों का एक दल तकलाकोट से इस महीने के शुरू में वापस आ गया था, क्योंकि चीन के अधिकारियों ने आंतरिक सुरक्षा को लेकर कुछ सवाल उठाये थे। एक तो व्यापार में पहले ही विलंब हो चुका है, इसलिए व्यापारियों में अब इसके प्रति ज्यादा उत्साह भी नहीं दिख रहा है। अब तक मात्र 50 ट्रेड पास ही जारी किए गए हैं।
भारतीय व्यापारी केंद्र सरकार से इस बात की गुहार लगा रहे हैं कि चीन से आने वाले कुछ सामान में लगाए गए प्रतिबंध हटा लिए जाएं। इन सामान में चीनी कच्ची रेशम और मवेशी शामिल हैं, जिनकी भारत में काफी मांग है। भोटिया आदिवासी व्यापारी संघ के एक प्रतिनिधि ने कहा कि उन्होंने कें द्र और राज्य सरकार को इस बाबत सूचित कर दिया है।
वैसे चीनी सिल्क की मांग भारत में काफी ज्यादा है, लेकिन केंद्र सरकार इस बात को समझ रही है कि इससे स्थानीय व्यापारियों को घाटा पहुंचता है। मवेशियों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, क्योंकि पिथौरागढ़ के नजदीक गुंजी मंडी में इनकी सुरक्षा की गारंटी के कोई ठोस इंतजामात नहीं हैं। इस व्यापार में भारतीय व्यापारी चीनी और तिब्बती व्यापारियों को गुड़, ऊन, मसाले और कंबल आदि सामान देते हैं।
भारत-तिब्बत सीमा व्यापार को भारत-चीन युद्ध (वर्ष 1962) के तीस साल बाद 1992 में फिर से शुरू किया गया था। 2004 में तो इस व्यापार में रिकॉर्ड 14 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। लेकिन जब से चीनी सिल्क और मवेशियों आदि के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है, तब से इस व्यापार में गिरावट आई है। पेइचिंग ओलंपिक के कारण कैलास-मानसरोवर यात्रा को भी स्थगित कर दिया गया था।