दिल्ली, महाराष्ट्र में ऑक्सीजन आयात

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:26 AM IST

कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए टीके की तरह ही ऑक्सीजन खरीद और इसकी डिलिवरी के लिए भी राज्यों को खुद ही आयात के अधिकार का इस्तेमाल करना होगा। महाराष्ट्र 25,000 टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) आयात करने की योजना बना रहा है जबकि दिल्ली मौजूदा मांग-आपूर्ति में अंतर को दूर करने और कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए खुद को तैयार करने के लिए 18 क्रायोजेनिक टैंकरों और इस्तेमाल के लिए तैयार (रेडी-टू-यूज) 21 ऑक्सीजन संयंत्रों का ऑर्डर करना चाहता है।
राज्य सरकार की ये पहल कंपनी जगत और केंद्र सरकार के प्रयासों में पूरक होगी हालांकि इस बात का डर है कि देश के विभिन्न राज्यों की समानांतर निविदाओं की वजह से आयातक इसकी कीमत और बढ़ा सकते हैं। केंद्र सरकार ने जहां 16 अप्रैल को 50,000 टन ऑक्सीजन के आयात के लिए निविदा जारी की थी जबकि रविवार तक उसे केवल 3,500 टन की आपूर्ति की पक्की सूचना मिली। अंतरराष्ट्रीय बाजार से ऑक्सीजन हासिल करने के लिए टैंकरों की उपलब्धता एकबड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘ऑक्सीजन, टैंकर और प्रेशर स्विंग ऑब्जर्वेशन (पीएसए) संयंत्र बनाने से जुड़े कच्चे माल की कीमत में तेजी आई है।’ महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने मंगलवार को घोषणा की कि राज्य ने 40,000 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स, 132 पीएसए संयंत्रों, 27 ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक, 25,000 टन तरल ऑक्सीजन और रेमडेसिविर दवा की 10 लाख शीशियों की खरीद के लिए दिलचस्पी दिखाई है। टोपे ने कहा, ‘इच्छुक पक्ष तीन दिन में अपने ऑफर जमा कर सकते हैं। एक अधिकारप्राप्त समिति को इस संबंध में जल्दी फैसला लेने का अधिकार दिया गया है।’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार थाईलैंड से 18 क्रायोजेनिक टैंकर और फ्रांस से इस्तेमाल के लिए तैयार 21 ऑक्सीजन संयंत्रों का आयात करेगी। इसके अतिरिक्त, केंद्र द्वारा 8 ऑक्सीजन संयंत्र भी स्थापित किए जाएंगे। केजरीवाल ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘फ्रांस से आयात किए जाने वाले 21 संयंत्रों सहित विभिन्न अस्पतालों में कुल 44 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। भारतीय वायु सेना की मदद से बैंकॉक से आयातित टैंकर कल पहुंचेंगे।’    
महाराष्ट्र संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है जहां 670,000 से अधिक कोविड-19 के सक्रिय मामले हैं। इसने अस्पतालों में ऑक्सीजन के उपयुक्त इस्तेमाल के लिए एक मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। फि लहाल राज्य में 1615 टन से अधिक ऑक्सीजन की खपत हो रही है और राज्य के बाहर से लगभग 300-350 टन की डिलिवरी की जा रही थी। एसओपी के जरिये यह यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ऑक्सीजन की बरबादी न हो और ऑक्सजीन प्रवाह की निगरानी के लिए नर्सो की नियुक्ति करने जैसे उपायों के साथ ही खपत की जांच के लिए अस्पताल स्तर के ऑडिट की बात भी की जा रही है।
टोपे ने कहा कि इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में जेएसडब्ल्यू स्टील संयंत्र में 100 बेड वाले कोविड-19 सुविधा केंद्र की स्थापना की जाएगी। कोविड-19 सुविधा केंद्र के लिए संयंत्र में तैयार की गई ऑक्सीजन भी उपलब्ध कराई जाएगी।
ऑक्सीजन की कमी से देश भर में कई मौतें हुई हैं जिससे केंद्र सरकार का अधिकारप्राप्त समूह 2 (ईजी2) प्रत्येक राज्य के लिए ऑक्सीजन कोटे पर फैसला ले रहा है। केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इलाज के लिए औद्योगिक ऑक्सीजन को सुरक्षित किए जाने के बाद तरल मेडिकल ऑक्सीजन का पर्याप्त घरेलू उत्पादन हुआ लेकिन लॉजिस्टिक से जुड़ी दिक्कतें आपूर्ति में बाधा बन रही थीं।
राज्य ही लॉजिस्टिक्स के प्रभारी हैं जिनमें टैंकरों की व्यवस्था करना, अस्पतालों और जिले के लिए इनका आवंटन करना, शहर के भीतर टैंकरों की निर्बाध आवाजाही की व्यवस्था करना शामिल है।  
बैंकॉक के अलावा, भारत कंपनियों से करार कर दुबई, शांघाई और डसेलडॉर्फ  से टैंकरों का आयात कर रहा है जो टैंकरों के मालिक हैं। टाटा ने सिंगापुर से कुछ दिन पहले ही चार टैंकर खरीदकर भारतीय वायुसेना के विमान के जरिये मंगाया है।
लॉजिस्टिक्स में सुधार के तहत परिवहन की जरूरत कम करने के लिए ऑन-साइट ऑक्सीजन विनिर्माण केंद्र या पीएसए बनाए जा रहे हैं। इनमें से कुछ पीएसए निर्माण की मंजूरी अक्टूबर में केंद्र सरकार के निविदा के जरिये मिली थी लेकिन इनमें से अधिकांश बन नहीं पाए थे। इसी तरह लोग अपने घर में वायुमंडल की हवा से ऑक्सीजन पाने के लिए ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स लगा सकते हैं। घरेलू बाजार में इन कॉन्सेंट्रेटर्स की आपूर्ति कम है लेकिन इनकी वजह से सिलिंडरों की मांग पर दबाव कम हो सकता है जिनका इस्तेमाल आमतौर पर कम ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों के लिए किया जाता है।

First Published : April 27, 2021 | 11:14 PM IST