बिहार में लटकी थर्मल परियोजनाएं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 11:47 PM IST

बिहार में  करीब नौ थर्मल परियोजनाएं अभी तक जमीन पर नहीं उतर पाई हैं। इन बिजलीघरों को  अभी तक  न जमीन मिली है और न ही कोयला।


और तो और निवेशक भी खामोश बैठे हैं। अब लगभग दो साल बाद हालात ये बन रहे हैं कि इन ताप बिजली परियोजनाओं को जल्द से जल्द शुरू करना मुश्किल काम साबित हो रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी- एनटीपीसी और बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के साझा उद्यम में नवीनगर में प्रस्तावित 1980 मेगावाट की परियोजना मंथर गति से चल रही है।

अभी तक इसके लिए भूमि का अधिग्रहण नहीं हो पाया है। मिसाल के तौर पर मेसर्स विकास मेटल एंड पावर परियोजना है जो बेगूसराय में 500 मेगावाट क्षमता की थर्मल इकाई लगाएगी। यह कंपनी सरकार से जमीन और कोयला मांग रही है।

विकास मेटल एंड पावर लिमिटेड के अध्यक्ष विमल कुमार पाटनी ने बताया कि कंपनी ने बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण से थर्मल इकाई लगाने के लिए 300 एकड़ जमीन ली थी। लेकिन इस समझौता पत्र की अवधि 16 जुलाई 2008 को खत्म हो गई। इसके बाद जब सहमति पत्र पर फिर से हस्ताक्षर की बात आई, तो यह जमीन उससे वापस ले ली गई।

इस वजह से परियोजना में अभी कोई ठोस काम शुरू नहीं हुआ है। बिहार राज्य के ऊर्जा विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक निजी क्षेत्र को शुरू में ही स्पष्ट कर दिया गया था कि उसे अपने स्तर से जमीन की व्यवस्था करनी होगी। तब कंपनियों ने भी यही वादा किया था कि वे जमीन की उपलब्धता के बाद ही परियोजना की रूपरेखा तैयार करेंगे।

हालांकि रांची की कंपनी जेएएस इन्फ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड ने बांका में 2000 मेगावाट की परियोजना के लिए 400 एकड़ जमीन खरीद ली है। ऊर्जा विभाग के सचिव राजेश गुप्ता ने बताया कि प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए जमीन और कोयले की उपलब्धता पर सरकार नए सिरे से गौर कर रही है।

हालांकि इन चीजों की जिम्मेदारी कंपनियों ने अपने जिम्मे ली थी, लेकिन अब सरकार इस माले का समुचित हल निकालने की कोशिश में है। बक्सर में कृभको की 2000 मेगावाट की थर्मल परियोजना को भी जमीन की संकट से जूझना पड़ रहा है।

बिहार राज्य विद्युत बोर्ड की कांटी और बरौनी थर्मल इकाई में भी कोयले का संकट दिख रहा है। फिलहाल एनटीपीसी की देखरेख में बीएचईएल दोनों स्थानों की बंद थर्मल इकाइयों को चालू करने की कोशिश कर रही है। इन इकाइयों के जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण के लिए राष्ट्रीय सम विकास योजना से 540 करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत हो गई है।

First Published : October 13, 2008 | 10:15 PM IST