पिग आयरन की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण पश्चिम बंगाल में निर्यात करने वाले ढलाई उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
राज्य में करीब 60 ढलाई इकाइयां हैं। इनमें से 12 बंदी की कगार पर पहुंच चुकीं हैं जबकि 25 से 30 इकाइयां अपनी क्षमता के मुकाबले आधा उत्पादन ही कर रही हैं।
ईईपीसी के अध्यक्ष राकेश शाह के मुताबिक राज्य में परिचालन कर रही ढलाई इकाइयों ने बीते साल 2.5 लाख टन कास्टिंग का उत्पादन किया था और इस समय बना कीमतों का दबाव आगे भी जारी रहा तो निर्यात घटकर महज 1 लाख टन रह जाएगा।
इसका एक पहलू यह भी है कि निर्यात में कमी से करीब 50,000 मजदूरों को अपने प्रत्यक्ष रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ‘अभी तक करीब 1,000 लोग प्रभावित हो चुके हैं और यदि मौजूदा रुझान जारी रहे तो आने वाले महीनों में यह संख्या 5 से 7 गुनी तक बढ़ सकती है।’ पिछले 10 महीनों के दौरान पिग आयरन की कीमतों में करीब 40 प्रतिशत की उछाल आई है जो वैश्विक रुझानों से मेल नहीं खाता है। शाह ने साथ ही कहा कि भारतीय उद्योगों के मुकाबले अमेरिका में बनी कास्टिंग अधिक सस्ती है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में बनी कास्टिंग की कीमत करीब 40-45 सेंट प्रति पौंड हैं जबकि भारत में तैयार कास्टिंग की कीमत 40 सेंट प्रति पौंड है। इसलिए अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी नहीं रह गए गए हैं जबकि इस समय निर्यात में अमेरिकी की हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है। काउंसिल ने केन्द्र सरकार ने बाजार में हस्तक्षेप करने और कुछ आपूर्तिकर्ताओं की गैर-कानूनी गतिविधियों से ढ़लाई उद्योग को बचाने की अपील की है। इसके तहत काउंसिल ने सभी तरह के इस्पात तथा पिग आयन के निर्यात पर 25 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाने की मांग की है।
विश्लेषकों ने कहा है कि यदि इस्पात को आवश्यक कमोडिटी कानून के दायरे में लाती है तो वायदा बाजार में इस्पात पर दबाव बढ़ेगा और कीमतों में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल सकती है। वायदा बाजार में बीते एक साल के दौरान इस्पात की कीमत करीब 70 प्रतिशत तक चढ़ चुकी है। इस समय अप्रैल की आपूर्ति के लिए इस्पात की कीमत 31,840 रुपये प्रति टन है जबकि एक साल पहले यह 18,462 रुपये प्रति टन थी। इस्पात मंत्री राम विलास ने प्रधानमंत्री को खत लिख कर कीमतों पर नियंत्रण के लिए कई राजकोषीय और गैर-राजकोषीय उपाएं सुझाएं हैं। कारोबारियों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कीमतें टूटेंगी।