विदेशी बुनियादी ढांचा विकास कंपनियों ने कानपुर में चर्म शोधनशालाओं से निकलने वाले जहरीली क्रोमियम तरल पदार्थों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने और मुनाफे के लिए निपटान तंत्र के प्रस्ताव की पेशकश की है।
इस प्रस्ताव के तहत चर्मशोधनशालाओं से निकलने वाले जहरीले तरल पदार्थों को ईंधन उत्पादन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे बॉयलरों और भट्टों आदि उद्योगों में ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
ए टू जेड इन्फ्रास्ट्रक्चर नामक एक फ्रांसीसी कंपनी और ब्रिटेन स्थित एक कंपनी ने इस दिशा में पहल की है। क्लार्क इनर्जी के अधिकारियों ने रूमा स्थित डंपिंग साइट का पहले ही दौरा कर चुके हैं और वहां से जहरीले तरल पदार्थ के कुछ नमूने भी साथ ले गए हैं। वे अधिकारी विषैले तरल पदार्थों का गहनता से जांच-पड़ताल और विश्लेषण करेंगे।
कानपुर में गंगा एक्शन प्लान के महाप्रबंधक डी पी सिंह ने बताया, ‘जहरीले तरल पदार्थ की प्रारंभिक जांच-पड़ताल पहले ही सफलतापूर्वक निपटा ली गई है।’ सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस प्रणाली को गहन अध्ययन के बाद ही स्थापित किया जाएगा।
मालूम हो कि प्रयोग के दौरान तरल पदार्थ में एक विशेष प्रकार का पॉउडर मिलाया जाएगा जिससे उस तरल पदार्थ की क्लोरोफिक वैल्यू बढ़ जाएगी, जो ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बेहद सटीक होता है। सिंह ने बताया, ‘इच्छुक कंपनियों द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव की गहनता से जांच-पड़ताल की जा रही है।’
बहरहाल, बेकार पड़े कूड़े-कचरे से ईंधन उत्पादन करने के लिए विदेशी कंपनियां शहर में निजी संयंत्र लगाने की योजना बना रही हैं। निस्संदेह इस प्रक्रिया से शहर में विशाल मात्रा में पड़े कचरे की बड़ी समस्या का समाधान निकल सकेगा।
खास बात
जहरीले तरल पदार्थों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का प्रस्ताव
फ्रांस व ब्रिटेन की कंपनियों की मदद से की जा रही है पहल