उत्तर भारत में हर सब्जी के साथ धड़ल्ले से आलू मिला देने का चलन जल्द ही पश्चिम बंगाल के स्कूलों में भी दिखाई देगा।
आलू की बंपर पैदावार के कारण राज्य के स्कूलों में दोपहर के खाते के दौरान नन्हें-मुन्नों का सीधा वास्ता आलू से पड़ने वाला है। सरकार यदि पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन की सिफारिशों को मान लेती है तो केन्द्र द्वारा प्रायोजित मिड डे मिल योजना के तहत मिलने वाले खाने में आम हरी सब्जियों और अन्य व्यंजनों की जगह आलू राजा ले लेंगे।
इतना ही नहीं, यदि एसोसिएशन की सिफारिशें मान ली जाती हैं तो नौनिहालों के साथ ही रोजगार गारंटी योजना के तहत काम करने वाले श्रमिकों को भी खाने में आलू परोसा जाएगा।इस समय दोपहर के खाने में आम तौर पर खिचड़ी दी जाती है जिसमें दाल, चावल के अलावा कुछ मसाले और हरी सब्जियां मिली होती हैं। इसके अलावा हर दूसरे दिन एक अंडा दिया जाता है।
एसोसिएशन ने अपने पत्र में कृषि विपणन विभाग से राज्य के स्कूलों में दोपहर के भोजन के दौरान आलू आधारित भोजन को अनिवार्य रूप से शामिल करने की सिफारिश की है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पतित पवन डे ने बताया कि ‘हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में कोल्ड स्टोर्स में रखे आलू की मार्केटिंग कैसे की जाएगी। सरकार को अब आलू की खपत को बढ़ावा देने की योजना बनानी चाहिए, ताकि हजारों किसानों को इसका खामियाजा नहीं उठाना पड़े।’
राज्य सरकार के एजेंडे में किसानों का हित सबसे ऊपर है और यहां जल्द पंचायत चुनाव होने वाले हैं इसलिए अतिरिक्त आलू की खपत को बढ़ाने के उपायों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल के कृषि विपणन मंत्री अब्दुर रजाक के मुताबिक ‘राज्य सरकार मिड डे मील में आलू को शमिल करने पर विचार कर रही है।’ इस बारे में विभागीय सचिवों और वित्त विभाग के साथ बैठक की जा चुकी है। कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ने यह भी मांग की है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एनआरईजी) के तहत काम करने वाले मजदूरों को भी आलू दिया जाना चाहिए। हालांकि रजाक ने ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार करने से इंकार किया है।
पश्चिम बंगाल में इस साल 80 लाख टन आलू का उत्पादन होने का अनुमान है। यह आंकड़ा बीते साल के 50.52 लाख टन के मुकाबले 60 प्रतिशत अधिक है। इस साल व्यापारी आलू बेचने में कम ही इच्छुक हैं और 75 प्रतिशत से अधिक आलू कोल्ड स्टोरों में रखे हैं। आम तौर पर इस मौसम में 30 प्रतिशत आलू कोल्ड स्टोरों में रह जाता है।
मिड डे मील योजना में पश्चिम बंगाल का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है। कई स्कूलों ने खाना पकाने और अन्य सुविधाओं के अभाव की बात भी कही है। सूत्रों ने बताया है कि कई स्कूलों में बच्चों को कच्चा चावल और दाल दी जा रही है और कहा जा रहा है कि घर में पका लेना।
कुछ स्कूल बाहरी कैटरर्स की मदद ले रहे हैं और पूरी परियोजना की आउटसोर्सिंग करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल की वार्षिक कार्य योजना और बजट 2007-09 के मुताबिक अभी तक इस योजना के दायरे में 5,185 विद्यालयों और 10,11,227 विद्यार्थियों को शामिल किया जा चुका है।