उप्र: आईटीआई में लागू होगा पीपीपी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 2:08 AM IST

शिक्षकों और कर्मचारियों के लगातार विरोध के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और पॉलिटेक्निक में निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) मॉडल लागू करने जा रही है।


शुरू में  सरकार 25 पॉलिटेक्निक और 125 आईटीआई को बोली प्रक्रिया के तहत निजी कंपनियों को सौंपेगी। पूरे उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्थानों पर लगभग 106 पॉलिटेक्निक और 156 आईटीआई हैं। इनमें कुल मिलाकर 20,000 शिक्षक और कर्मचारी काम करते हैं।

सरकार ने इस बाबत पांच कंपनियों को आग्रह प्रस्ताव (आरएफपी) के लिए चुना है। इस संबंध में बोली लगाने से पहले लखनऊ में मंगलवार को एक सम्मेलन हुआ, जिसका उद्देश्य इस प्रक्रिया को लेकर उठ रही शंकाओं को दूर करना था।

बुनियादी ढांचा विकास और औद्योगिक विकास विभाग की सचिव अर्चना अग्रवाल ने बताया, ‘हमें उनके सुझाव मिल गए हैं और जल्द हीं आरएफपी दस्तावेज को जारी किया जाएगा। उसके बाद बोली लगाने की प्रक्रिया की अनुमति भी दे दी जाएगी।’

सूत्रों के मुताबिक जिन कंपनियों को चुना जाएगा, उनमें से तीन कम प्रसिद्ध कंपनियां होंगी और दो कंपनियों का संघ होगा। सरकार चाहती है कि दिसंबर 2008 के मध्य तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाए। हालांकि उत्तर प्रदेश राज्य आईटीआई और पॉलिटेक्निक संयुक्त कार्य दल ने यह निर्णय लिया है कि वे अपने विरोध को और तेज करेगा, क्योंकि पीपीपी मॉडल एक तरह का निजीकरण ही है।

संयुक्त कार्यदल के संयोजक अशोक कुशवाहा ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया कि वह पीपीपी का बहाना बनाकर आईटीआई और पॉलीटेक्निक की करोड़ों की संपत्ति बेचने की साजिश रच रही है। उन्होंने सरकार को यह सुझाव दिया कि पुराने संस्थानों में पीपीपी मॉडल लागू करने से बेहतर यह होगा कि इसके तहत नये संस्थानों का निर्माण किया जाए।

वैसे भी मौजूदा आईटीआई और पॉलीटेक्निक गरीब छात्रों को काफी कम फीस की अदायगी पर प्रशिक्षण प्रदान करती है। कुशवाहा ने कहा, ‘निजी कंपनियों को इस तरह के संस्थान चलाने का कोई अनुभव नहीं है और वे सिर्फ परिसंपत्तियों को हथियाने के लिए इसमें रुचि ले रही है।’

हालांकि अग्रवाल ने कहा, ‘आईटीआई और पॉलीटेक्निक शिक्षक और कर्मचारी पीपीपी मॉडल के बाद भी सरकारी कर्मचारी हीं बने रहेंगे। वैसे भी निजी कंपनियों को ये संस्थान कुछ अरसे के लिए लीज पर दिया जा रहा है। ‘ संयुक्त कार्यदल ने कहा है कि अगर सरकार पीपीपी मॉडल को लेकर अपना रवैया नहीं बदलती है, तो 7 नवंबर को टॉर्च रैली निकाली जाएगी और 11 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

First Published : November 5, 2008 | 9:14 PM IST