उत्तर प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने इस वित्त वर्ष में लगभग 113 नये मछली प्रजनन केन्द्रों को स्थापित करने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष लगभग 120 करोड़ मछली के बीज की आवश्यकता होती है जबकि राज्य में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र संयुक्त तौर पर 105 करोड़ मछली के बीज का उत्पादन कर पाते है। इससे प्रतिवर्ष मछली के बीज के उत्पादन में 15 करोड़ का अंतर आ जाता है।
उल्लेखनीय है कि मछली पालन के विकास को नीली क्रांति से जोड़ा गया है। मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक एस के सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नए मछली प्रजनन केन्द्रों के स्थापित होने से मछली के बीज उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। राज्य में मत्स्य विकास विभाग गोरखपुर, बस्ती, फैजाबाद, सुल्तानपुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, मेरठ, जालौन और इलाहाबाद में मछली प्रजनन के न्द्रों को चला रहा है।
इसके अलावा राज्य में निजी क्षेत्रों द्वारा लगभग 150 मछली प्रजनन केन्द्रों को चलाया जा रहा है। अभी उत्तर प्रदेश में मछली की मांग की तुलना में उत्पादन बहुत कम हो पाता है। प्रत्येक वर्ष मछली के बीज का वितरण जुलाई से अक्टूबर के बीच में किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में 28,500 किलोमीटर के जलीय क्षेत्र मे लगभग 4.32 लाख हेक्टेयर भीतरी जलीय क्षेत्र शामिल है। इस योजना में मत्स्य विभाग के साथ लखनऊ स्थित नेशनल ब्यूरों ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्स (एबीएफजीआर) संस्थान भी शामिल हो रहा है। इसके अलावा राज्य में अभी लगभग 70 मछली उत्पादन विकास एजेंसियों को स्थापित किया जाना है।
इस योजना में खर्च होने वाली राशि में लगभग 75 फीसदी कोष केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। पिछले साल विभाग ने राज्य के मछली उत्पादकों को 21 करोड़ रुपये कर्ज के तौर पर दिये थे। इसके अलावा मत्स्य विभाग राज्य के किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित किया जा रहा है। इससे मछली उत्पादकों को ज्यादा मछली पैदा क रने के लिए आवश्यक जानकारियां मिल सकेंगी।
सिंह ने यह भी बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से मछली उत्पादक मछली की कुछ नई प्रजातियों के उत्पादन के बारे में जानने के साथ ही सहकारी संस्थाओं के निर्माण के साथ बैंकों से प्राप्त कर्ज का समुचित प्रयोग कर सकेंगे। पिछले वित्त वर्ष में मत्स्य विभाग ने मछली उत्पादकों को ग्राम सभा की लगभग 11 हजार हेक्टेयर जमीन पट्टे पर दी थी। यह पट्टा आने वाले 10 वर्षो तक वैध रहेगा। इन पट्टों पर लाभांवित उत्पादकों से लेवी भी ली जायेगी।
इसके अलावा राज्य में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत 45 मछली पार्लरों को खोले जाने की योजना है। इन पार्लरों की मदद से राज्य मे विभिन्न प्रकार की मछलियों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा सकेगा। इन पार्लरों को स्थापित करने के लिए निजी क्षेत्र द्वारा जमीन की व्यवस्था की जायेगी और सरकार द्वारा ऋण की व्यवस्था की जायेगी। सिंह ने बताया कि मछली पार्लरों को शुरु करने के लिए निजी पार्टियों को चयन कर लिया गया है।