उप्र: पेट्रोल-डीजल पर कर बढ़ाने की तैयारी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 7:44 AM IST

पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती पर आम जनता भले ही खुश हो पर उत्तर प्रदेश सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ गयी हैं।


राज्य सरकार ने अभी पेट्रोलियम उत्पादों के दामों पर करों को संशोधित करने के बारे में कोई फैसला नही लिया है पर जल्दी ही इस बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

जैसी की आशा की जा रही है राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर वाणिज्य कर बढ़ाकर जनता की खुशी को कम कर सकती है।


गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार पहले से ही धन की कमी का सामना कर रही है और कर्मचारियों के लिए छठा वेतनमान लागू करने के बाद तो मुसीबतें और बढ़ गयी हैं।

साथ ही राज्य सरकार को कई विकास योजनाओं के लिए भी धन की जरुरत है जिसके लिए कल ही सरकार ने 1000 करोड़ रुपये के बांड जारी करने का फैसला किया था।

अधिकारियों के अनुसार पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती से राज्य सरकार पर हर महीने करीब 25 करोड़ रुपये और सालाना 300 करोड़ रुपये का घाटा होगा जिसकी भरपाई की जुगत लगायी जा रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार का वित्तीय वर्ष 2008-09 में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स के जरिए 7200 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य है जो कि दामों में कटौती से प्रभावित हो रहा है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जब शुक्रवार को पेट्रोल और डीजल के दामों में क्रमश 5 और 2 रुपये की कटौती की घोषणा की थी उसके बाद इन उत्पादों की सबसे ज्यादा कीमत उत्तर प्रदेश में ही घटी हैं।

प्रदेश में अब पेट्रोल 5.15 रुपये और डीजल 2.06 रुपये सस्ता हो गया है। राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार विगत जून में केंद्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ाए थे तो जनता को राहत देने के लिए माया सरकार ने वाणिज्य कर में छूट दी थी।

इस कदम से पहले से ही राज्य सरकार को 450 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था अब इसमे 300 करोड़ रुपये का और इजाफा हो गया है।

राजस्व प्राप्ति में कमी से चिंतित राज्य सरकार कई और राज्यों से पेट्रोलियम उत्पादों पर वसूले जाने वाले करों के बारे में आंकड़े मंगा रही है।

सरकारी  अधिकारियों की मानें तो आंकड़ों के अध्ययन के बाद वाणिज्य कर में दी गयी छूट  को या तो वापस लिया जाएगा या फिर इसे कम किया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य सरकार का इस वित्तीय वर्ष में 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य है जिसके अभी तक पूरा होने के आसार नही दिख रहे हैं।

इस साल की पहली छमाही में में राजस्व वसूली में 1200 करोड़ रुपए की कमी आयी थी। जिसके बाद खुद प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी ने इस विभाग की मानिटरिंग करना शुरु कर दिया है।

इसके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं और बीते साल के मुकाबले इस साल नवंबर में अधिक राजस्व की प्राप्ति हुयी है।

First Published : December 7, 2008 | 9:18 PM IST