उत्तर प्रदेश परिवहन क्षेत्र में निजी निवेश जुटाने की कवायद में लगा हुआ है। इस कड़ी में राज्य सरकार अगस्त में पात्रता अनुरोध (आरएफक्यू) के लिए वैश्विक निविदा जारी करेगी।
सरकार ने 14 मई को राज्य के 465 रूटों पर बसों के संचालन के लिए निजी निवेशकों से अभिरुचि पत्र (ईओआई) मंगाया था। इन रूटों को हाल में निजी परिचालकों के लिए खोला गया है। उत्तर प्रदेश ने सड़क परिवहन के विकास के लिए निजी निवेशकों का ध्यान खींचने के लिए सार्वजनिक निजी मॉडल को अपनाया है।
परिवहन विभाग के प्रधान सचिव देश दीपक वर्मा ने बताया कि ‘हमें हाल में ईओआई की काफी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया मिली है और लेनदेन सलाहकार की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही हम आरएफक्यू की प्रक्रिया शुरू कर देंगे, जो संभवत: अगस्त में शुरू हो सकती है।’ उन्होंने बताया कि केन्द्र ने 11 लेनदेन सलाहकार को अधिसूचित किया है और हमने उनसे कोटेशन मंगाए हैं और जैसे ही सलाहकार का नाम तय हो जाएगा, आरएफक्यू जारी कर दिया जाएगा।
वर्मा ने बताया कि ईओआई की प्रतिक्रिया के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने बोलीदाताओं के लिए नियम और शर्तों को आसान बनाने का फैसला किया है। बेड़ों में बसों की न्यूनतम संख्या को 4,000 से घटाकर 1,000 कर दिया गया है और शुरूआत में निवेशकों को केवल 250 बसों का संचालन करना पड़ेगा। वर्मा ने बताया कि परिचालक अगले चार वर्षो के दौरान बेड़े को बढ़ाकर 1,000 बस तक कर सकेंगे। इस बेड़े में 60 प्रतिशत बसें लक्जरी होंगी जबकि बाकी 40 प्रतिशत बसें सामान्य होंगी। हालांकि दोनों तरह की बसों में जीपीआरएस डिवाइस लगे होंगे।
वर्मा ने बताया कि ‘उत्तर प्रदेश परिवहन नियामक आयोग (यूपीटीआरसी) की स्थापना का काम आगे बढ़ रहा है और नियामक संस्था के गठन के लिए मसौदा विधेयक को अगस्त में कैबिनेट के सामने पेश किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में 2008 से पहले नियामक का गठन कर दिया जाएगा। यूपीटीआरसी में पांच सदस्य होंगे और उम्मीद है कि परिवहन क्षेत्र का अनुभव रखने वाले मुख्य सचिव स्तर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी इसकी अध्यक्षता करेंगे। आयोग के बाकी चार सदस्य बस परिचालन, स्टेशन प्रबंधन, वित्त और कानूनी मामलों के विशेषज्ञ होंगे।