छत्तीसगढ़ में जीएमआर एनर्जी के प्रस्तावित मेगा पावर प्लांट के विरोध में प्रदर्शनों की बाढ़ सी आ गई है।
जीएमआर की योजना रायपुर के तिलडा ब्लॉक के रायखेड़ा गांव में 1200 मेगावाट की बिजली परियोजना लगाने की है। इसके लिए कंपनी ने 5500 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
इस परियोजना को स्थापित करने के लिए लगभग 530 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है जबकि 310 हेक्टेयर जमीन पर 250 किसानों का स्वामित्व है जो अपनी जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ है।
जिला प्रशासन ने इस परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिलाने के लिए एक आम सुनवाई भी बुलवाई थी। लेकिन इस परियोजना को लेकर हो रहे विरोध के चलते प्रशासन को सुनवाई स्थगित करनी पड़ी।
इस परियोजना के खिलाफ लगभग 2 हजार किसानों ने एक मांग पत्र तैयार किया है और इसे जिला प्रशासन को सौंप दिया है। रैली का नेतृत्व करने वाले गंगूराम बघेल ने बताया कि हमने आंदोलन को तेज करते हुए लगभग 100 किसानों के साथ मिलकर कंपनी की ओर से जमीन अधिग्रहण के विरोध में एक रैली निकाली। इस रैली का मकसद कंपनी पर परियोजना स्थगित करने के लिए दबाव बनाना था।
लोगो का कहना है कि इस क्षेत्र में स्पांज आयरन की कई इकाइयां पहले से ही काम कर रही हैं लेकिन इस प्लांट के बनने के बाद वहां प्रदूषण की दर बहुत बढ़ जाएगी। औद्योगिकीकरण के चलते प्रदूषण बढ़ने से कई लोग चर्म रोगों का शिकार हो रहे हैं। बघेल ने बताया कि गांववाले इस परियोजना के खिलाफ पूरी तरह लामबंद हैं और अपने आंदोलन को तेज करने के लिए एकजुट है।
गौरतलब है कि इस मामले से जुड़े कंपनी के अधिकारियों ने पहले कहा था कि वे जमीन अधिग्रहण के लिए लोगों को राजी कर लेंगे। कंपनी की योजना इस साल सितंबर के अंत तक अधिग्रहण पूरा करने के बाद 2012-13 से प्लांट का निर्माण कार्य शुरु करने की है।