झुग्गियों के हिस्से आए झोलाछाप डॉक्टर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 10:43 PM IST

दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में 93 फीसदी लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं और इस दौरान कई बार उन्हें ठगी का शिकार होना पड़ता है।


ऐसा झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मान्यताओं के कारण हो रहा है। डेनमार्क की डेनिडा काउसिंल द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। यह सर्वेक्षण अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने 2004 से लेकर 2008 के बीच दक्षिणी दिल्ली में किया  है।


दक्षिणी दिल्ली के 207 घरों में कराए गए सर्वे के आधार पर यह बताया गया कि इन घरों मे से केवल दो ने सरकारी अस्पतालों से स्वास्थ्य सेवाएं लीं। सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई कि झुग्गी-झोपड़ी वालों का इलाज करने वाले गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टर, मान्यता प्राप्त डॉक्टरों की अपेक्षा अधिक मानवीय होते हैं और इलाज करते समय मरीज को अपनी बात ज्यादा प्रभावकारी तरीके से समझा पाते है।


सर्वेक्षण में यह बात भी खुल कर सामने आई है कि गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टर मरीजों को वही दवाईयां लेने का सुझाव देते है जो मुख्यत: मान्यता प्राप्त डॉक्टरों द्वारा इलाज करते समय प्रयोग में लाई जाती है। इन गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टरों में ज्यादातर पहले कैमिस्ट, शोधकर्ता, अस्पतालों व क्लीनिकों में सहायक के तौर पर काम कर चुके होते है।


गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टरों पर कानूनी शिंकजा कसने के बाद भी दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में इन डॉक्टरों की दुकान आसानी से चल रही है। एम्स के प्रमुख शोर्धकत्ता व सामुदायिक स्वास्थ्य के प्रमुख सी एस पांडेय का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) आने के बाद इन गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टरों की मौजूदगी पर फर्क पड़ेगा।


लेकिन जब तक इनके लिए एक कारगर विकल्प न हो तब तक ये गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टर झुग्गी-झोपड़ियों में स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध कराते रहेंगे। शोधकत्ताओं का मानना है कि दिल्ली में लगभग 40 हजार गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टर प्राथमिक सेवाओं को उपलब्ध करा रहें है। इन गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टरों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई भी की गई लेकिन क्षेत्रीय लोगों से सहयोग न मिल पाने के कारण यह कार्रवाई ज्यादा सफल न हो सकी।


दिल्ली के अलावा भुवनेश्वर में भी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को समझने के लिए इसी तरह का एक शोध कराया गया है। लेकिन भुवनेश्वर में माजरा कुछ और नजर आ रहा है। भुवनेश्वर में गैर मान्यता प्राप्त डॉक्टर ज्यादा संख्या में नहीं है। यहां ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले डॉक्टर की अपेक्षा कैमिस्ट के पास जाना पंसद करते है।

First Published : May 11, 2008 | 10:35 PM IST