राजस्थान ने किया शहरी मनरेगा का वादा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:05 PM IST

राजस्थान सरकार ने आज घोषणा की है कि वह मनरेगा की तर्ज पर जल्द ही शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम पेश करेगी। इस तरह की योजना तैयार करने वाला राजस्थान छठा राज्य हो गया है।
इस कार्यक्रम के विस्तृत ब्योरे का अभी इंतजार है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों ने कार्यक्रम के लिए 800 करोड़ रुपये आवंटन का स्वागत किया है। कोविड-19 के कारण आई मंदी और इससे बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता केंद्र सरकार से मनरेगा की तरह शहरी बेरोजगारों के लिए भी रोजगार केंद्रित हस्तक्षेप की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। अब तक ज्यादातर राज्यों ने अपनी शहरी रोजगार योजना के लिए बहुत कम धन आवंटित किया है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना नाम की नई योजना के लिए 800 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और इसमें शहरों में रह रहे लोगों को 100 दिन के रोजगार की पेशकश की जाएगी।
गहलोत उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जिन्होंने पहले कोविड लॉकडाउन के बाद जून 2020 में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को शहरी रोजगार गारंटी योजना पेश करने के लिए पत्र लिखा था।
राजस्थान के पहले हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, केरल और तमिलनाडु ने शहरी रोजगार कार्यक्रम पेश किए हैं, लेकिन इनमें से किसी ने मनरेगा की तरह रोजगार की गारंटी नहीं देता है।  
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि इसके तरह आने वाले कार्यों को लेकर भी कम दायरा है क्योंकि इनमें ज्यादातर काम पीडब्यूडी द्वारा कराए जाएंगे।
गारंटी वाली न्यूनतम मजदूरी को भी मौजूदा शहरी रोजगार योजनाओं में बेहतरीन तरीके से परिभाषित नहीं किया गया है, जबकि मनरेगा में सालाना और न्यूतम वेतन केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया है।
पीपुल्स ऐक्शन फार इंप्लाइमेंट गारंटी (पीएईजी) की रक्षिता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा,  ‘गारंटी वाले शहरी रोजगार कार्यक्रम की सबसे अहम और बुनियादी जरूरत यह है कि इसमें रोजगार की कानूनी गारंटी मिलनी चाहिए और साथ ही जो इस कार्यक्रम के तहत काम नहीं पाते हैं, उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत किया जाना चाहिए। राज्यों ने महज 60 से 100 करोड़ रुपये बजट का आवंटन किया है, जो अपर्याप्त है।’
कोविड-19 की पहली लहर के बाद हिमाचल प्रदेश ने इस तरह की योजना अधिसूचित की थी, उसके बाद ओडिशा और झारखंड ने ऐसी योजना लागू की थी।
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना लागू की गई, जिसमें हर शहरी परिवार को 120 दिन का गारंटीयुक्त रोजगार दिया जाता है।
ओडिशा में शहरी वेतन रोजगार पहल के नाम से रोजगार योजना चलाई गई, जिसमें शुरुआती आवंटन 100 करोड़ रुपये था, जो अप्रैल 2020 से 6 महीने तक के लिए बजट था।
दोनों कार्यक्रमों में शहरी स्थानीय निकाय परियोजनाएं चिह्नित करेंगे और नौकरी के इच्छुक लोगों को पंजीकृत करेंगे। साथ ही वेतन का समय से भुगतान सुनिश्चित करने व काम की निगरानी जैसे अन्य काम करेंगे।

First Published : February 23, 2022 | 11:25 PM IST