सीजन की शुरुआत से ऐन पहले आयी जबरदस्त आंधी ने उत्तर प्रदेश के आम उत्पादकों के चेहरों की रौनक छीन ली है।
बुधवार को आयी तेज आंधी से न सिर्फ कई जानें गयी बल्कि फल पट्टी क्षेत्र में तैयार फसल को खासा नुकसान हुआ है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक तेज हवा के चलते एक चौथाई फसल बर्बाद हो गयी है।
प्रदेश मे दशहरी आम का सीजन 15 मई से शुरु होकर करीब दो महीने तक चलता है। इस साल उत्तर प्रदेश में दशहरी की अच्छी फसल का अनुमान लगाया जा रहा था। फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद, काकोरी और मोहनलालगंज में फसल की बर्बादी के बाद मंडियों में कच्चे माल की जबरदस्त आमद हुई है।
फल उत्पादकों के अनुसार इस सीजन की पहली आंधी ही इतनी जबरदस्त रही है कि दशहरी की ज्यादातर फसल को नुकसान हुआ है। दो दिनों से लखनऊ की मंडियों में कच्चे आम की कीमत 5 रुपये से गिरकर 1 रुपये पहुंच गयी है। राजधानी की थोक मंड़ी दुबज्गा में 30 किलो आम की बोरी 27 रुपये में बिक रही है।
मलिहाबाद के आम उत्पादक संघ के पदाधिकारी फौजान अहमद के मुताबिक आम की फसल बाजार में आने वाली थी और ज्यादातर व्यापारी अपने माल की अग्रिम बुकिंग करा चुके थे। उन्होंने बताया कि अकेले मलिहाबाद में 20 फीसदी आम की फसल को नुकसान हुआ है जबकि काकोरी में यह आंकड़ा 30 फीसदी के करीब है।
अहमद के अनुसार आंधी में टूटा आम दाग की वजह से कम कीमत पर बिकता है साथ ही यह जल्दी सड़ने लगता है। इसी के चलते आम के कारोबारी अपना माल जल्दी से जल्दी खपाने की जुगत में लगे हैं और बीते दो दिनों में तकरीबन 20 करोड़ रुपये की कीमत का आम थोक मंडियों में आ चुका है।
आंधी ने न केवल आम के बागों की रौनक पर असर डाला है बल्कि दशहरी की आमद के समय को भी आगे खिसका दिया है। फल व्यापारियों का कहना है कि आंधी के बाद अब तैयार दशहरी को बाजार में आने में कम से कम एक सप्ताह का समय और लगेगा। आम की फसल के ठीक उलट जायद की फसल को आंधी के बाद हुई बारिश से फायदा हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जायद की फसल के लिए इस समय की बारिश उपज बढ़ाने में फायदेमंद है।