दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में शनिवार को शुरु हुए 14वें दिल्ली पुस्तक मेले में इस बार लगभग 15 करोड़ रुपये मूल्य की किताबें बिकने का अनुमान है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स के अध्यक्ष आर सी गोविले ने बिनजेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बिक्री के शुद्ध आंकड़े देना तो संभव नहीं है लेकिन पिछले साल अनुमान के तौर पर 10 करोड़ रुपये की पुस्तकें बिकी थीं तो इस बार प्रकाशकों की संख्या बढ़ने से तकरीबन 15 करोड़ रुपये की पुस्तकें बिकने का अनुमान है।’
गोविले बताते हैं कि मेले के दौरान कई तरह के और भी सौदे होते हैं, मसलन पुस्तकों के कॉपीराइट और अनुवाद के। कोई पाकिस्तानी किताब, किसी अमेरिकी प्रकाशक को पसंद आ जाए तो वह मेले के दौरान ही उसके कॉपीराइट या अनुवाद के अधिकार भी खरीद लेता है, इस तरह के सौदे शुद्ध बिक्री में शामिल नहीं होते। वहीं कुछ प्रकाशक बढ़ती लागत का रोना रो रहे हैं।
एक प्रकाशक कहते हैं, ‘पिछले दो साल में कागज की कीमतों में तकरीबन 40 फीसदी का इजाफा हुआ है और छपाई की लागत में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन हम लोग चाहकर भी कीमतें नहीं बढ़ा सकते क्योंकि इससे बिक्री घट जाएगी।’ प्रगति मैदान के हॉल नंबर 8 से 12 ए तक में लगा यह पुस्तक मेला 7 सितंबर तक चलेगा। इस बार मेले का थीम है ‘महिला लेखन’ और इस दौरान महिला लेखकों से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मेले में कारोबार के बाबत गोविले कहते हैं, ‘इस बार के मेले में पिछली बार की तुलना में ज्यादा संख्या में प्रकाशक और वितरक आए हैं।’ गौरतलब है कि इस पुस्तक मेले में भारत, चीन, अमेरिका, पाकिस्तान और स्पेन समेत कई देशों के 299 प्रकाशक शामिल हो रहे हैं। पिछली बार के पुस्तक मेले में यह आंकड़ा लगभग 224 के आसपास था।
मेले का समय सुबह 10 बजे से रात आठ बजे तक है। हिंदी प्रकाशकों की प्रचार से जुड़ी समस्या के समाधान के लिए मेले में गूगल को आमंत्रित किया गया है। वर्कशॉप में गूगल के अधिकारी प्रकाशकों को बताएंगे कि वह कैसे अपनी पुस्तकों के बारे में जानकारी, गूगल सर्च पर स्टोर कर सकते हैं?