विश्व बाजार की अनिश्चितता और मांग में कमी से परेशान पंजाब के कपड़ा कारोबारियों को कमजोर होता रुपया (1 डॉलर के मुकाबले लगभग 49 रुपये) भी खुश नहीं कर सका है।
पंजाब के कपड़ा कारोबारी अपने यहां तैयार माल को यूरोप, पश्चिमी एशिया और अमेरिका को निर्यात करते हैं। पटियाला के पास लालड़ू स्थित चीमा स्पिनटेक्स के चेयरमैन हरदयाल सिंह चीमा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि दो महीने पहले जब रुपया डॉलर के मुकाबले (1 डॉलर के मुकाबले 39 रुपये) मजबूत हो गया था तो हमने हेजिंग का सहारा लिया।
अब डॉलर की कीमत बढ़ने से वे हैरान हैं। उल्लेखनीय है कि चीमा स्पिनटेक्स अपने कुल उत्पादन का 85 फीसदी निर्यात करती है। लुधियाना स्थित सुप्रीम यार्न्स के उपाध्यक्ष राजीव भांभरी ने भी स्वीकार किया कि कई कपड़ा निर्यातकों ने हेज फंडों से उधार लिया था। इसलिए रुपये के कमजोर होने से निर्यातकों को सीधे तौर पर घाटा उठाना पड़ रहा है।
इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव और एकल उत्पाद तैयार करने वाली इकाइयों और ट्रेडिंग हाउसों पर पड़ रहा है। एकीकृत कपड़ा विनिर्माण इकाइयों के साथ काम करने वाले कारोबारी तो मूल्य वर्द्धित उत्पादों में ज्यादा मार्जिन के कारण कुछ हद तक नुकसान को झेल सकते हैं।
पंजाब के ज्यादातर कपड़ा निर्यातकों ने रुपये की मजबूती के साथ ही 42 से 45 रुपये प्रति डॉलर पर हेजिंग की थी। एसईएल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के नीरज सलूजा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अगर यही स्थिति काफी समय तक रहती है तो निर्यातकों को फायदा हो सकता है। लेकिन अगर बाजार में अनिश्चितता बनी रही तो कारोबारियों की हालत और भी खराब हो जाएगी।
विनसम टेक्सटाइल के निदेशक सतीश बगरोडिया का कहना है कि पिछले साल हमने 150 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। रुपये के कमजोर होने से वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए हम काफी मजबूत हो सकते है लेकिन अंतराष्ट्रीय मांग की कमी होने से हमारे कारोबार में 20 से 25 फीसदी की कमी आने की संभावना है।
हमारे देश से निर्यात होने वाले कपड़ों की सबसे ज्यादा खपत ब्रिटेन और अमेरिका में होती है। लेकिन वैश्विक मंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव भी इन्हीं देशों में पड़ने से हमारे देश के कपड़ा निर्यातकों के लिए संकट पैदा हो गया है।