मुंबई के सांताक्रूज पूर्व में कैंप रेस्टोरेंट की तरफ जाने वाला वाला मुख्य दरवाजा दोपहर 12 बजे बंद है। इसका दोपहर के भोजन के समय बंद होना असामान्य बात है और दरवाजा बंद होने से पैक करने के ऑर्डर लेना भी मुश्किल है। दरवाजे के पीछे से एक कर्मचारी अनिल सिंह ने कहा, ‘हमारे नंबर लिख लो और हमें कॉल करो।’ उन्होंने कहा, ‘हम फोन पर खाने के ऑर्डर ले रहे हैं। किसी भी ग्राहक को अंदर आने की इजाजत नहीं है।’ सिंह ने कहा, ‘कारोबार सुस्त पड़ गया है। इन प्रतिबंधों से हम पर चोट पड़ रही है… देखूंगा कि आगे हालात कैसे रहते हैं। अगर नहीं सुुधरे तो मुझे बोरियां-बिस्तर समेटकर शहर छोडऩा पड़ेगा।’
मुंबई और ठाणे के सभी रेस्टोरेंटों और ढाबों की सिंह जैसी ही कहानियां हैं। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में वायरस के प्रसार पर अंकुश के लिए इस सप्ताह से प्रतिबंध लगा दिए हैं। इनके तहत गैर-जरूरी दुकानों को एक महीने के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अलावा रात 8 बजे से रात का क फ्र्यू और सप्ताहांत में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है। ये प्रतिबंध अप्रैल के आखिर तक रहेंगे। हालांकि ऑनलाइन कंपनियों को सप्ताह के सभी दिन 24 घंटे खाने और आवश्यक वस्तुओं की डिलिवरी करने की मंजूरी दी गई है, लेकिन अभी तक रेस्टोरेंटों को कोई राहत नहीं दी गई। रेस्टोरेंट संस्थाएं एवं संगठन सोमवार से नए प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकारी फीस एवं कर माफ किए जाएं।
होटल ऐंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप शेट्टी ने कहा कि राज्य सरकार ने नई शर्तें लगाई हैं, इसलिए रेस्टोरेंट पूरे महीने नहीं खुलेंगे। रेस्टोरेंट की कमाई में डिलिवरी की हिस्सेदारी 5 से 7 फ ीसदी है जबकि 70 से 80 फीसदी कारोबार सप्ताहांत में होता है। ऐसे में वेतन एवं दिहाड़ी भुगतान पर असर पड़ेगा, जिससे प्रवासी अपने घरों को लौट जाएंगे। मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पर ट्रेन टिकटों के लिए कतार रोजाना लंबी होती जा रही है।
बांद्रा के रेस्तरां में काम करने वाले तैयब अली उत्तर प्रदेश जल्द निकलने की तैयारी कर रहे हैं। वह कहते हैं, ‘मैं अगले महीने अपने घर जाने का विचार बना रहा था। मगर अब इसी महीने जाऊंगा। मैं जिस रेस्टोरेंट में काम करता हूं, वहां कोई काम नहीं है। यहां रहने का कोई मतलब नहीं है।’ भारत में रेस्टोरेंट बाजार 4.25 लाख करोड़ रुपये का होने का अनुमान है। इसमें से 60 फीसदी असंगठित और 40 फीसदी संगठित हैं।