पंजाब के पांचवे वेतन आयोग ने राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। आयोग की इस रिपोर्ट में राज्यकर्मियों की आय में औसतन 27 फीसदी की बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है।
साथ ही आयोग ने सभी कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष करने की भी सिफारिश की है। राज्य के पांचवे वित्त आयोग के अध्यक्ष एस के टुटेजा ने सोमवार को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
यहां यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि पंजाब सरकार ने केंद्र की तर्ज पर छठे वेतन आयोग को राज्य में लागू नहीं किया था और इसकी बजाय टुटेजा की अध्यक्षता में खुद का आयोग गठित किया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग की सिफारिशों को मानने का मतलब तभी निकलता है जब इसे पूरा पूरा लागू किया जाए।
आयोग का कहना है कि अगर सिफारिशों को आंशिक तौर पर लागू किया गया तो इससे कुछ वर्गों के लिए भेदभाव वाली स्थिति पैदा हो जाएगी। अगर वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इससे राज्य सरकार पर हर साल 2,050 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके साथ पेंशन भोगियों की वजह से भी सरकार पर सालाना 650 करोड़ रुपये का भार आएगा।
वहीं आयोग ने यह अनुमान व्यक्त किया है कि मौजूदा कर्मचारियों का एरियर चुकाने के लिए सरकार को अतिरिक्त 3,450 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे जबकि पेंशन भोगियों के लिए इस एरियर का भार सरकार पर तकरीबन 1,350 करोड़ रुपये का होगा। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पांचवे वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी 2006 से लागू करने की सिफारिश की है।
आयोग ने कुछ कर्मचारियों को एक खास वर्ग में रखा है। जैसे कि शिक्षकों, नर्सों और पुलिस कर्मियों को एक अलग श्रेणी में रखते हुए उन्हें अधिक पे स्केल देने का सुझाव दिया है। साथ ही एक अन्य सिफारिश के मुताबिक किसी भी कर्मचारी को एक साल से अधिक एक पे स्केल वर्ग में नहीं रखने की सिफारिश की गई है। यानी कि ग्रेड पे बदले बिना हर कर्मचारी को एक एक साल में ऊंचे पे बैंड में डालने की सिफारिश की गई है।
क्या हैं सुझाव
औसतन 27 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश
रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष करने की सिफारिश
राज्य कर्मियों के लिए अलग-अलग वर्ग
1 जनवरी 2006 से लागू करने की सिफारिश