महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) परियोजना एक बार फिर से वाणिज्य मंत्रालय में ही अटक गई है।
वाणिज्य मंत्रालय को इससे जुड़े विधेयक में मौजूद प्रावधानों पर ऐतराज है। दरअसल विधेयक में ऐसे प्रावधान है कि अगर उन्हें मंजूरी दे दी गई , तो राज्य सरकार को बाकी कानूनों की अवेहलना करने का अधिकार मिल जाएगा।
दो साल से राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रही बातचीत के बाद वाणिज्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र सेज और विधेयक में मौजूद बाकी जगहों को पिछले साल मई में ही मंजूरी दे दी थी। हालांकि इस मंजूरी के बाद भी मंत्रालय ने राज्य सरकार को सेज मामले में श्रमिक कानूनों में कोई भी रियायत देने से साफ इनकार कर दिया है।
इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए विधेयक में फेरबदल भी किए । लेकिन राज्य सरकार महाराष्ट्र में सेज के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद को देखते हुए विधान सभा में इस विधेयक को पेश नहीं किया। बल्कि इसके बदले सरकार विधान सभा में इसे मंजूरी दिलाने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया।
लेकिन यहां भी एक दिक्कत आई कि अगर राज्य सरकार कोई अध्यादेश लाना चाहती है तो उसे उसके लिए वाणिज्य मंत्रालय की मंजूरी चाहिए। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने विधेयक को फिर से वाणिज्य मंत्रालय के पास भेज दिया।
महाराष्ट्र के औद्योगिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले इसी मंत्रालय ने राज्य सरकार के विधेयक में मौजूद प्रावधानों को मंजूरी दे दी थी, जिसके तहत राज्य सरकार को बाकी कानूनों को दरकिनार करते हुए सेज पर कोई भी फैसला लेने का अधिकार था। लेकिन अब उसी मंत्रालय को इस बात पर ऐतराज है, यह बहुत ही निराशाजनक बात है।
सेज अधिनियम के प्रावधान राज्य सरकार को राज्य के बाकी कानूनों से ऊपर कोई भी फैसला करने की इजाजत देते हैं। सेज के लिए जारी यह अध्यादेश महाराष्ट्र टाउन प्लानिंग अधिनियम , लोकल सेल्फ गवर्नमेंट इंस्टीटयूशन अधिनियम, बॉम्बे सेल्स टैक्स अधिनियम, स्टैम्प डयूटी रजिस्टे्रशन अधिनियमों का उल्लंघन करने का अधिकार सरकार को देता है।
राज्य में बहुउत्पाद विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित करने वाली एक कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि एक निश्चित कानूनी ढांचे के अभाव में सेज परियोजना विकसित करने वाले डेवलपर को काफी मुश्किल होगी। क्योंकि एक ही चीज से संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार के कानून बिल्कुल अलग होंगे। इसीलिए इस पर ध्यान देने की काफी जरूरत है।
वाणिज्य मंत्रालय को सेज बिल के प्रावधानों पर ऐतराज
मंत्रालय नहीं देगा सेज श्रमिक कानून में रियायत
अध्यादेश में मौजूद प्रावधानों को बदलना पड़ेगा
पहले इन प्रावधानों को मंजूरी दे चुका था मंत्रालय