महाराष्ट्र में गुरुवार को हुई बारिश से लोगों को कुछ राहत तो जरूरी मिली है लेकिन राज्य में सूखे जैसे हालात पैदा हो जाने के कारण मुंबई को बिजली बिजली कटौती का समाना करना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि अभी मुंबई ही देश का अकेला महानगर है जहां बिजली की बिल्कुल भी कटौती नहीं की जाती है। मुंबई को सबसे अधिक बिजली देने वाला टाटा पॉवर कंपनी (टीपीसी) का जल विद्युत संयंत्र की उत्पादन क्षमता काफी घट गई है।
बुधवार की दोपहर को संयंत्र अपनी कुल क्षमता का सिर्फ एक तिहाई उत्पादन ही कर रहा था। यह आशंका भी है कि यदि बारिश महाराष्ट्र से ऐसे ही मुंह फेरे रही हो हालात और भी बुरे हो सकते हैं। सूखे के कारण बिजली उत्पादन में कमी आई है। इस कारण पुणे और मुंबई के करीब बसे थाणे और नवी मुंबई में पहले ही कटौती शुरू हो गई है। इससे पहले इन शहरों में बिजली की कटौती नहीं की जाती थी।
थाणे और नवी मुंबई में अब हर रोज 3 से 4 घंटे तक बिजली गुल रहती है। राज्य लोड डिस्पैच केन्द्र की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक बुधवार की शाम 6 बजे टीपीसी के जल विद्युत उत्पादन संयंत्र से केवल 147 मेगावाट उत्पादन ही किया जा रहा था जबकि स्थापित क्षमता 444 मेगावाट की है। बिजली क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने बताया कि इससे साफ पता चलता है कि पुणे के बांध में पानी कमी हो गई है।
टीपीसी और अनिल अंबानी के नियंत्रण वाली आरईएलइंफ्रा मुंबई के दो प्रमुख बिजली आपूर्तिकर्ता हैं। इनकी स्थापित क्षमता क्रमश: 1,777 मेगावाट और 500 मेगावाट है। हालांकि इस समय मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर 600 से 700 मेगावाट तक है और इस कमी को ऊंची कीमत पर तात्कालिक खरीद के जरिए पूरा किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया है कि मुंबई बिजली प्रबंधन समूह ने सितंबर अंत तक शहर को बिजली मुहैया करने के लिए गठजोड़ किया है। इस समूह में टीपीसी, आरईएलइंफ्रा और बेस्ट शामिल हैं।
अब सवाल यह है कि अक्टूबर के बाद क्या होगा? मानसून के खत्म होने के बाद देश भर में बिजली की मांग बढ़ेगी। इस दौरान रबी सत्र की बुवाई शुरू होगी और दिसंबर तक कृषि क्षेत्र से बिजली की काफी मांग रहेगी। ऐसे में अधिकारियों के पास दो ही विकल्प हैं। पहला जिस भी कीमत पर बिजली मौजूद हो, उसे खरीदा जाए। यह 10 रुपये या 12 रुपये प्रति यूनिट हो सकती है। ऐसा करके मुंबई के बिजली कटौती से बचाया जा सकता है या फिर शहर में बिजली कटौती की घोषणा कर दी जाए।
राज्य सरकार पहले ही मुंबई को और राहत देने से इनकार कर चुकी है। राज्य बिजली मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, ‘ऐसे समय में जबकि राज्य में करीब 5,000 मेगावाट बिजली की कमी है, अब महावितरण से ओवरड्रा की अनुमति नहीं दे सकते हैं और मुंबई की इकाइयों से हुए समझौते के मुताबिक हम केवल आपात स्थिति में ही बिजली की आपूर्ति करने के लिए बाध्य हैं।’
उत्तर प्रदेश में कोयले का संकट
मूसलाधार बारिश ने उत्तर प्रदेश में बिजली संकट पैदा कर दिया है। बारिश में कोयले के भीगने और रेल यातायात प्रभावित होने का असर बिजली उत्पादन पर साफा दिखाई दे रहा है। आधिकारिक तौर पर तो प्रदेश में बिजली की मांग पहले के निर्धारित 8000 मेगावाट से घटकर 7200 मेगावाट पर आ गई है। इसके अलावा बीते एक हफ्ते में ताप बिजली घरों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। बिजली निगम के अधिकारियों कहना है कि ताप बिजली घरों में बीते 15 दिनों से गीले कोयले की आपूर्ति हो रही है, जो बिजली उत्पादन को प्रभावित कर रहा है।
मप्र में गिरा बिजली उत्पादन
मध्य प्रदेश को अघोषित बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के सबसे बड़े पनबिजली संयंत्र इंदिरा सागर जलाशय में पिछले वर्ष की 23 जुलाई की तुलना में इस वर्ष 23 जुलाई को जल स्तर लगभग 11 मीटर कम है। जलाशय पूरा भरने के लिए कुल 17 मीटर पानी अभी और चाहिए। इस संयंत्र की क्षमता 1000 मेगावाट है।
उन्होंने कहा कि इस संयंत्र से जहां पिछले वर्ष 900 से 1000 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही थी, वहीं इस समय केवल 100-150 मेगावाट ही उत्पादन हो रहा है। 520 मेगावाट क्षमता के ओंकारेश्वर पनबिजली संयंत्र के जलाशय में जल संग्रहण हेतु गेट्स नहीं होने एवं अदालती आदेश के कारण जल संग्रहण संभव नहीं हुआ है।
बिजली अधिकारियों की मुसीबत
मानसून की बेरुखी ने छत्तीसगढ़ में अधिकारियों की मुसीबत बढ़ा दी है। बारिश में कमी के कारण राज्य में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है जबकि अगले सप्ताह संयंत्रों को मरम्मत के लिए बंद करने की योजना है। राज्य में बिजली की मांग 600 मेगावाट बढ़कर गर्मी के मौसम में होने वाली मांग के बराबर हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य बिजली बोर्ड (सीएसईबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय मांग 1800 से 2400 मेगावाट के बीच है जबकि राज्य बिजली बोर्ड के पास 2340 मेगावाट बिजली है।
बंगाल में बिजली संकट बरकरार
पश्चिम बंगाल में बिजली की भारी कमी हो गई और यह व्यस्त समय में 200 से 250 मेगावाट तक गिर गई। पश्चिम बंगाल राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के एक प्रवक्ता ने बताया ‘तकनीकी खराबी तथा कोयले की कमी के कारण कई इकाईयों के ठप पड़ जाने से कल से ही स्थिति खराब बनी हुई है।
सीईएससी वितरण क्षेत्र में एक हजार मेगावाट बिजली की कमी के चलते बिजली की आपूर्ति गिरकर 200 से 250 मेगावट तक पहुंच गई। कोलाघाट ऊर्जा संयंत्र अपनी क्षमता के मुकाबले केवल 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन ही कर पाया जबकि दुर्गापुर परियोजना की एक इकाई तीन सौ मेगावाट, बंडेल की एक इकाई 250 मेगावाट तथा संतालडीह की एक इकाई 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन पहले से ही कम कर रहा है।
बिहार में बिजली गुल
राज्य में भीषण बारिश की वजह से बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित है। पिछले पंद्रह दिनों से बिहार के अधिकांश शहरों में काफी बारिश की सूचना है। राज्य के सहरसा, दरभंगा, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा आदि बाढ़ प्रभावित जिलों की स्थिति अत्यधिक भयानक हो गई है। इन जिलों में बिजली आपूर्ति की स्थिति भी काफी दयनीय है।
पटना के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि एक सप्ताह पहले शहर में लगातार तीन दिनों तक बारिश होती रही, और उसकी वजह से बिजली आपूर्ति की दशा बहुत दयनीय हो गई थी। शहर के करबिगहिया, चांदमारी रोड, इंदिरा नगर, खास महल, पोस्टल पार्क, चिड़ैयांटाड़ इलाके में भारी पानी जमाव के कारण बिजली की आपूर्ति बाधित रही।
दिल्ली में आंखमिचौली जारी
इस समय दिल्ली में रोजाना लगभग 4000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जा रही हैं। इसके बावजूद बिजली की आपूर्ति में लगभग 500 मेगावाट की कमी है। दिल्ली के कई रिहायशी और औद्योगिक इलाकों जैसे वजीरपुर,ओखला,पटपड़गंज,पहाड़गंज ,उत्तमनगर विश्वविधालय बिजली की कटौती से काफी त्रस्त है। वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि हम अपनी बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जेनरेटर का प्रयोग कर रहें है। क्योकि बिजली के जाने पर हमें अपना काम रोकना पड़ सकता है।