मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर ‘आयातित लाल गेहूं’ के मुद्दे को उठाया है।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को लिखे पत्र में कहा कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस साल उच्च गुणवत्ता वाले करीब 12 लाख टन गेहूं की खरीद की है। सरकार का लक्ष्य 14 लाख टन गेहूं खरीदने का था।
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की गरीब जनता तक उच्च गुणवत्ता वाला गेहूं पहुंचाने का दायित्व केंद्र सरकार का है। कृषि मंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जल्द ही कम से कम 20 लाख टन गेहूं का उत्पादन करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह आयातित लाल गेहूं जारी करने के बजाए मध्य प्रदेश से खरीदे गए अच्छे गेहूं को ही मध्य प्रदेश के लिए जारी करे।
उन्होंने कहा कि लाल गेहूं की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। चौहान ने पत्र में लिखा है कि ‘आयातित ऑस्ट्रेलियाई लाल गेहूं’ की गुणवत्ता दोयम दर्जे की है और वह खाने के लायक भी नहीं है।’ मसले पर राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के बीच गहमा-गहमी जारी है। राज्य के मुख्यमंत्री ने गेहूं की खरीद पर प्रति क्विंटल 100 रुपये का बोनस देने की घोषणा की थी। इसके अलावा राज्य सरकार बार-बार केंद्र सरकार पर यह इलजाम लगाती रही है कि उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है।
इसी दौरान जबलपुर उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार राज्य सरकार को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी लोगों को 35 किलोग्राम गेहूं की बजाए 20 किलोग्राम गेहूं मुहैया कराए जाने पर नोटिस जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को प्रतिमाह 20 किलो गेहूं मुहैया करवाए जाने पर वहां के सामाजिक कार्यकताओं ने अदालत में याचिका दायर की थी।