गरीबों पर मेहरबान उत्तर प्रदेश सरकार ने अब दिल्ली की मुखिया शीला दीक्षित की राह पकड़ी है। राज्य सरकार के मंत्री परिषद के एक फैसले ने डेढ़ करोड़ झुग्गी झोपड़ी वालों की किस्मत ही पलट कर रख दी है।
अब प्रदेश के झोपड़ पट्टियों में रहने वाले लोगों को जमीन का मालिकाना हक मिल सकेगा। मंत्रीपरिषद की बैठक में इस फैसले पर मोहर लगा दी गयी है। हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा मायावती के जन्मदिन 15 जनवरी को की जाएगी।
राज्य सरकार के इस फैसले से सरकारी जमीन पर कब्जा कर झोपड़ी खड़ी करने वालों से लेकर ऐसी जगहों पर छोटा-मोटा कारोबार करने वालों को लाभ मिलेगा।
ऐसे परिवारों को जो सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करके रह रहे हैं उन्हें विकास शुल्क, भू परिवर्तन शुल्क और शमन शुल्क वगैरह भी नही देना होगा।
इस फैसले का लाभ उन गरीब परिवारों को ही मिलेगा जो 15 जनवरी, 2009 से पहले सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रह रहे हैं। सरकार ने अवैध कब्जेदारों से ली जाने वाली टोकन धनराशि का भी निर्धारण कर दिया है।
नगर निगस सीमा में रहने वालों से सरकार 20 रुपए पप्ति वर्ग मीटर और नगर पालिका क्षेत्र में रहने वालों से 15 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क लेकर उन्हे 90 साल के लिए जमीन पट्टे पर दे दी जाएगी।
नगर पंचायतों में सरकारी जमीन पर झोपड़ी खड़ी कर लेने वालों से 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से पैसा लिया जाएगा। सरकार ने कहा है एक परिवार को रहने के लिए 30 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन पट्टे पर नही दी जाएगी।
इस योजना का लाभ वही उठा सकेंगे जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। प्राधिकरण और विकास परिषद पात्र लोगों की पहचान के लिए सर्वे करेंगे और 15 जनवरी 2009 से पहले लाभान्वितों को को कोड नंबर देने के साथ ही फोटो पहचान पत्र भी जारी करेंगे।
इसी के आधार पर गरीब परिवारों को जमीन पर मालिकाना हक मिलेगा।