पतझड़ में निवेश की बहार का भरोसा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 4:35 PM IST

वैश्विक मंदी के बावजूद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी 11 और 12 जनवरी को होने वाले वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक निवेशक सम्मेलन, 2009 को लेकर खासे उत्साहित नजर आते हैं।


प्रस्तुत है मौलिक पाठक के साथ मोदी की बातचीत के प्रमुख अंश:

व्राइब्रेंट गुजरात में इस बार किस पहलू पर खास तौर से ध्यान दिया जा रहा है?


फोकस छोटे और मझोले उद्यमियों पर होगा। मैं गुजरात के सभी हिस्सों में एसएमई का नेटवर्क तैयार करना और उन्हें एक बेहतर माहौल मुहैया करना चाहता हूं ताकि वे बढ़िया काम कर सकें, बेहतर प्रौद्योगिकी को अपना सकें और अच्छी तरीके से अपनी मार्केटिंग कर सकें।

इस बैठक के दौरान सौर ऊर्जा सहित ऊर्जा के वैकल्पिक जरियों पर भी फोकस रहेगा।

आम मंदी में भी निवेशकों को कैसे आकर्षित कर सकेंगे?

मंदी से हम भी कुछ हद तक प्रभावित हुए हैं लेकिन मंदी का यह अर्थ नहीं है कि उद्योगपति अपने शटर गिरा दें।

अगर हीरा उद्योग में मंदी है तो उद्योग मूल्य वर्धन को अपना सकता है। वाजिब कीमत पर उत्पादन इस राज्य की विशेषता है। मेरा लक्ष्य बड़े पैमाने पर उत्पादन और आम लोगों के लिए उत्पादन है।

इस सम्मेलन में जापान की क्या भूमिका होगी?

जापान इस बार वाइव्रेंट गुजरात का साझेदार है। इनोवेशन जापान की विशेषता है। जापान दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे के अलावा गुजरात के दूसरे हिस्सों में भी निवेश का इच्छुक है।

इसके अलावा इटली, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताइवान भी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

आप कैसे सुनिश्चित करेंगे कि गुजरात में सिंगुर जैसी घटना न हो?

सेज कानून को लागू करने वाला गुजरात पहला राज्य है और जमीन का अधिग्रहण नीतियों पर आधारित है। अब केद्र सरकार भी हमसे सीख ले रही है।

राज्य जमीन अधिग्रहण में शामिल नहीं है। हमने औद्योगिक उद्देश्य के लिए परती जमीन दी है। इसलिए राज्य में जमीन अधिग्रहण को लेकर कोई सवाल नहीं उठा है।

आप किन कलस्टरों का विकास करना चाहते हैं?

हम फाउड्री, फार्मास्युटिकल्स, सेरेमिक्स, टेक्सटाइल, रेडीमेड कपड़े और आटो कंपोनेंट्स जैसे उद्योगों के लिए कल्स्टर विकास परियोजना तैयार कर रहे हैं।

हमने प्रत्येक क्षेत्र के लिए गुजरात के विभिन्न हिस्सों में स्थान की पहचान भी कर ली है। इन पार्कों के साथ औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों को जोड़ने की योजना बनाई है।

ऐसे आयोजनों में घोषित होने वाले सहमति पत्र (एमओयू)  क्या  हकीकत में तब्दील हो पाते हैं?

वाइव्रेंट गुजरात में करीब 80 प्रतिशत एमओयू को अमली जामा पहनाया गया है जबकि राष्ट्रीय औसत 12 प्रतिशत है। वैसे भी  परियोजना को पूरा होने में समय लगता है।

First Published : January 2, 2009 | 8:58 PM IST