चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़कर महाराष्ट्र देश का सबसे ज्यादा चीनी उत्पादक राज्य का तमगा हासिल कर लिया। चालू सत्र में महाराष्ट्र के किसानों को उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के रूप में 42,650 करोड़ रुपये दिए गए। राज्य में इस बार गन्ना पेराई सत्र 15 अक्टूबर से शुरू होगा। हालांकि महाराष्ट्र में 1 नवंबर से गन्ने की पेराई का सीजन शुरू होता है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया कि इस साल गन्ना पेराई सीजन 15 अक्टूबर से शुरू होगा। मुख्यमंत्री ने इस साल गन्ना उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र को विश्व में तीसरे स्थान पर रहने के लिए बधाई देते हुए कहा कि पिछले वर्ष चीनी मिलों द्वारा क्षमता से अधिक पेराई करने के बाद भी गन्ने की अधिकता की समस्या बनी रही। प्रदेश में गन्ने का रकबा बढ़ा है। विशेष रूप से मराठवाड़ा क्षेत्र में भी रकबा बढ़ा है। इस साल किसानों को नुकसान से बचाने के लिए 15 दिन पहले ही पेराई शुरू करने का निर्णय किया गया है।
राज्य के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा कि पिछले सीजन में लगभग 200 चीनी मिलों ने गन्ना लिया था और किसानों को 42,650 करोड़ रुपये एफआरपी का भुगतान किया गया। राज्य ने देश में सबसे ज्यादा 98 फीसदी एफआरपी का भुगतान किया है ।
इस सीजन में गन्ने की खेती करीब 14 लाख 87 हजार हेक्टेयर पर की गई है। इस वर्ष गन्ने का औसत उत्पादन 95 टन प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है। इस सीजन में करीब 203 चीनी मिलें चालू की जाएंगी और इस साल राज्य में 138 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। महाराष्ट्र ने पिछले सीजन में उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए 137.36 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। इस वर्ष पेराई का मौसम औसतन 160 दिनों का रहने का अनुमान है।
इस समय देश में 60 लाख टन चीनी का भंडार है और महाराष्ट्र में 30 लाख टन चीनी है। इस साल देश से 100 लाख टन चीनी का निर्यात होने का अनुमान है, जिसमें महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 60 लाख टन होगी। देश में कुल एथनॉल उत्पादन का करीब 35 फीसदी उत्पादन महाराष्ट्र में होता है।
गायकवाड ने बताया कि अगले साल 325 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन होगा। इस समय चीनी निर्यात के लिए खुले सामान्य लाइसेंस के संबंध में पिछले वर्ष की नीति को बनाए रखने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र भेजने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर गन्ना कटाई के लिए मशीनीकरण पर जोर देने का फैसला लिया गया।
इस बैठक में राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील, कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार, बंदरगाह मंत्री दादाजी भुसे, सहकारिता मंत्री अतुल सावे, शुगर संघ के सदस्य और विधानसभा में विपक्ष नेता अजित पवार, संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगावकर, हर्षवर्धन पाटील, प्रकाश आवाडे, श्रीराम शेटे, धनंजय महादिक आदि उपस्थित थे।