कानपुर-उन्नाव लेदर कलस्टर डेवलपमेंट कंपनी की एक पहल राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्र बुंदेलखंड में उम्मीद की नई किरण जगी है।
कंपनी भीषण गरीबी की चपेट में आ चुके इस क्षेत्र के लोगों को कानपुर, उन्नाव और आगरा की चमड़ा प्रसंस्करण इकाइयों में काम करने के लिए प्रशिक्षण देगी। इस प्रशिक्षण लिए कोई भी फीस नहीं ली जाएगी।
कंपनी के अध्यक्ष और चमड़ा निर्यात परिषद के प्रमुख मुख्तार-उल-अमीन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि प्रयोग के तौर पर ऐसे एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है और परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे हैं। करीब 70 प्रशिक्षित लोगों को तुरंत ही स्थानीय छोटी और मझोली इकाइयों में रोजगार मिल गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम को कंपनी और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) मिलकर आयोजित कर रहे हैं।
सिडबी के अध्यक्ष ने बताया कि बैंक प्रशिक्षित लोगों को खुद की छोटी प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने में मदद करेगा। मिर्जा टेनरी के अध्यक्ष इरशाद मिर्जा ने बताया कि इन लोगों द्वारा तैयार माल को बड़ी टेनरियों द्वारा आसानी से खरीद लिया जाएगा। कानपुर-उन्नाव लेदर कलस्टर डेवलपमेंट कंपनी का गठन कानपुर की चमड़ा मिलों की ढांचागत जरुरतों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की मांग को पूरा करने के लिए किया गया था।
कानपुर लेदर कलस्टर में करीब 1600 छोटी बड़ी इकाइयां हैं जो एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराती हैं। ये इकाइयां प्रति वर्ष 2,900 करोड़ रुपये का कारोबार करती हैं। यह देश एक मात्र केन्द्र है जो निर्यात के लिए घोड़े की रकाब और सेफ्टी शूज बनाता है। कंपनी के गठन की औपचारिक घोषणा के मौके पर सुपर हाउस टेनरी, मुख्तार-उल-अमीन और आईएलएंडएफएस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के अध्यक्ष आर सी एम रेड्डी ने संयुक्त उद्यम समझौते पर दस्तखत किए।