बस्तर में टाटा की परियोजना विवादों में

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:45 AM IST

छत्तीसगढ़ के बस्तर में जिला प्रशासन द्वारा टाटा स्टील के प्रस्तावित इस्पात संयंत्र परियोजना से प्रभावित लोगों को जमीन के बदले जमीन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।


लेकिन बड़ी संख्या में गांव वालों का आरोप है कि क्षतिपूर्ति की रकम सीधे उन्हें न देकर किसी और को दी जा रही है। करीब 82 गांव वालों ने आरोप लगाया है कि उनकी जमीन के बदले जिला प्रशासन ने दूसरे लोगों को  हर्जाना दे दिया है जबकि वास्तव में हर्जाना पाने वालो लोगों ने कोई जमीन खोई ही नहीं है।

किसानों का आरोप है कि बस्तर जिला प्रशासन ने छतिपूर्ति के तौर पर फर्जी हाथों में 7.16 करोड़ रुपये सौंप दिए हैं। इस अनियमितता के विरोध में गांव वालों ने अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के बैनर तले छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने भेंट की। उन्होंने राज्यपाल को बताया कि प्रशासन ने फर्जी लोगों को चेक सौंप दिया है, जबकि जमीन का कब्बा उनके पास था।

महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजम ने बताया कि ‘हमने मामले की सीबीआई द्वारा जांच कराने की मांग की है।’ इससे पहले इन लोगों ने जिला प्रशासन को टाटा स्टील के संयंत्र के लिए अपनी जमीन सौंपने से मना कर दिया था। कुंजम ने बताया कि उन लोगों ने बस्तर के जिला अधीक्षक के पास जमीन क्षतिपूर्ति वितरण में कथित घोखाधड़ी के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई है।

जिला प्रशासन का दावा है कि उसने अभी तक टाटा स्टील की परियोनजा के लिए  10 गांव के 1045 लोगों से 927.16 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया है। इसके बदले प्रशासन ने 36.42 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। परियोजना के तहत कुल 1764.61 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है और इससे करीब 1,707 लोग प्रभावित होंगे।

टाटा स्टील को अपने प्रस्तावित स्टील संयंत्र के लिए बस्तर जिले के लोहांडीगुदा ब्लाक में 2160.58 हेक्टेयर जमीन की जरुरत है। इस संयंत्र की क्षमता 50 लाख टन प्रतिवर्ष होगी। गांव वालों के तगड़े विरोध के बाद राज्य सरकार ने फैसला किया कि 75 से 100 प्रतिशत तक जमीन खोने वाले लोगों को जमीन के बदले जमीन मुहैया कराई जाएगी।

प्रशासन की सफाई

बस्तर जिला प्रशासन ने हालांकि इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि क्षतिपूर्ति वितरण के दौरान अधिकतम पारदर्शिता बरती गई है। बस्तर के जिलाधिकारी एम एस परास्ते ने कहा कि ‘गांव स्तर पर समिति का गठन किया गया है। छतिपूर्ति पाने वालों की पहचान करने और सही व्यक्ति को ही हर्जाना देने के लिए इस समिति में पंचायत के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।’ उन्होंने कहा कि  यदि किसी को शिकायत है तो जिला प्रशासन मामले की जांच करेगा।

First Published : June 5, 2008 | 9:59 PM IST