मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार: ठाकरे

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 6:06 PM IST

अपने वरिष्ठ सदस्य और महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे के विद्रोह के कारण सरकार पर आए संकट पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि अगर बागी विधायक उनसे यह कहते हैं कि वह उन्हें (ठाकरे) मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। इससे पहले पार्टी ने विधानसभा को भंग करने का संकेत दिया।
वहीं महाराष्ट्र के हाईवोल्टेज सियासी उठापठक का केंद्र फिलहाल गुजरात के सूरत से असम के गुवाहाटी स्थानांतरित हो गया है जहां बागी नेता और उनके समर्थक विधायक अभी डेरा जमाए हुए हैं। अपने साथ 46 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे शिंदे ने बगावती सुर में किसी तरह की नरमी न लाने के स्पष्ट संकेत दिए जिससे प्रदेश में शिवसेना के नेतृत्व वाली ढाई साल पुरानी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
ठाकरे के कोरोनावायरस से संक्रमित होने की बुधवार को ही पुष्टि हुई है। उन्होंने 17 मिनट लंबे वेबकास्ट में कहा कि अगर शिव सैनिकों को लगता है कि वह (ठाकरे) पार्टी का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं तो वह शिव सेना पार्टी के अध्यक्ष का पद भी छोड़ने के लिए तैयार हैं। ठाकरे ने कहा, ‘सूरत और अन्य जगहों से बयान क्यों दे रहे हैं? मेरे सामने आकर मुझसे कह दें कि मैं मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष के पदों को संभालने में सक्षम नहीं हूं। मैं तत्काल इस्तीफा दे दूंगा। मैं अपना इस्तीफा तैयार रखूंगा और आप आकर उसे राजभवन ले जा सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर किसी शिव सैनिक को अपना उत्तराधिकारी देखकर उन्हें खुशी होगी। ठाकरे ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के सुझाव पर अपनी अनुभवहीनता के बावजूद मुख्यमंत्री का पद संभाला।
इससे पहले पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र में मौजूदा सियासी घटनाक्रम के चलते विधानसभा को भंग किया जा सकता है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी राउत ने ट्वीट किया था, ‘महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम राज्य विधानसभा को भंग करने की ओर ले जा रहा है।’ बाद में ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता राउत ने कहा, ‘जब कभी किसी भी राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो मैंने देखा है कि विधानसभा को भंग कर दिया जाता है।’ उधर शिंदे ने कहा है कि उनके समर्थन में 46 विधायक हैं। उन्होंने एक मराठी टेलीविजन चैनल से कहा, ‘मेरे पास दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किए बिना विधानसभा में एक अलग समूह बनाने के लिए शिवसेना विधायकों की आवश्यकता से अधिक संख्या है।’
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के 55 सदस्य हैं। शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र के बागी विधायकों को बुधवार सुबह विमान से गुवाहाटी ले जाया गया और कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें शहर के बाहरी इलाके में एक लग्जरी होटल में ठहराया गया है। इससे पहले विधायकों को मंगलवार को मुंबई से सूरत ले जाया गया था। आंतरिक संकट से जूझ रही शिवसेना ने असंतुष्ट नेता एकनाथ शिंदे का साथ दे रहे बागी नेताओं समेत अपने सभी विधायकों को बुधवार शाम पांच बजे विधायक दल की बैठक में भाग लेने या दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई का सामना करने को कहा। इस पर शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा कि शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु द्वारा जारी आदेश ‘कानूनी रूप से अमान्य’ हैं क्योंकि विधायक भरत गोगावाले को पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया जा रहा है। प्रभु ने गृह राज्य मंत्री शंभुराज देसाई सहित शिवसेना के कुछ मंत्रियों को एक पत्र जारी किया। देसाई अभी शिंदे के साथ गुवाहाटी में हैं।
पत्र में कहा गया है, ‘शिवसेना ने आज शाम वर्षा बंगले (मुख्यमंत्री आवास) में तत्काल एक बैठक बुलाई है क्योंकि गठबंधन सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया गया है। बैठक के बारे में विवरण सभी सदस्यों (विधायकों) के साथ उनके पंजीकृत ई-मेल, व्हाट्सएप और एसएमएस के माध्यम से पर साझा किया गया है।’ पत्र में कहा गया है, ‘आप कोई वैध और पर्याप्त कारण बताए बिना बैठक से अनुपस्थित नहीं रह सकते हैं। यदि आप बैठक में शामिल नहीं होते हैं तो यह माना जाएगा कि आपका स्पष्ट इरादा पार्टी छोड़ने का है। इसलिए, आपके खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।’ शिंदे ने ट्वीट किया, ‘शिवसेना विधायक भरत गोगावाले को विधानसभा में शिवसेना का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है। विधायकों की बैठक के बारे में सुनील प्रभु द्वारा जारी आदेश कानूनी रूप से अमान्य हैं।’     

First Published : June 23, 2022 | 12:26 AM IST