देश के किसानों को बतौर राहत पैकेज 65 हजार करोड़ रुपये देने के बावजूद किसानों से वोट की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार की आस इस बार टूट सकती है।
वह ऐसे कि ऐन चुनावी महाभारत के वक्त ही गन्ना किसानों ने सरकार के खिलाफ रणभेरी बजा दी है। सरकार से आर-पार का संग्राम करने पर आमादा इन किसानों की मुख्य नाराजगी केन्द्र सरकार की ओर से गन्ने के लिए तय किये जाने वाले एसएमपी (स्थिर न्यूनतम मूल्य)को लेकर है।
और उनकी यह नाराजगी जायज भी है क्योंकि एसएमपी में पिछले चार सालों के भीतर महज 1.18 रुपये की बढ़ोतरी ही की गई है। गन्ना किसानों का कहना है कि पिछले चार सालों के दौरान गन्ने के लिए तय की गई एसएमपी 79.50 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 81.18 रुपये प्रतिक्विंटल ही हुई है।
जबकि इस दौरान उर्वरक, कीटनाशक, खाद्य, बीज और कृषि उपकरणों में सौ फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। यहीं नहीं, शक्कर की कीमतें भी इस दौरान 12 रुपये प्रति किलों से बढ़कर 28 रुपये प्रति किलो हो गई है। लेकिन सरकार न जाने किन उलझनों के चलते एसएमपी बढ़ाने से कन्नी काटती रही है।
गन्ना किसानों की मांग को लेकर संघर्ष चलाने की तैयारी करने वाले संगठन नेशनल एंलायस ऑफ फार्मर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल सिंह बताते है कि एसएमपी में बढ़ोतरी न होने से किसान भारी संख्या में गन्ना बुवाई से हाथ खीच रहे हैं। इसके चलते पिछले चार सालों में गन्ने के रकबे में सीधे तौर पर 30 फीसदी की गिरावट आई है। इसकी पुष्टि गन्ने और शक्कर के गिरते उत्पादन को देखकर भी की जा सकती है।
गन्ने का उत्पादन जहां वर्ष 2006-07 में 35.55 करोड़ टन था, वहीं इस साल यह घटकर 25.55 करोड़ टन रह गया है। इसी तरह शक्कर का उत्पादन भी वर्ष 2006-07 के 2.83 करोड़ टन की तुलना में 35 से 40 फीसदी नीचे गिरकर वर्ष 2008-09 के लिए 2.05 करोड़ टन अनुमानित है। हालांकि सिंह का दावा है कि सरकारी आंकड़े जो भी कहें, अनुमानित शक्कर उत्पादन लगभग 1.6 करोड़ टन ही बैठता है।
मेरठ के हिंगन गांव के गन्ना किसान हरीश त्यागी बताते हैं ‘एक क्विंटल गन्ने की लागत लगभग 130-150 रुपये प्रति क्विंटल बैठती है। ऐसे में किसानों के लिए लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।’ उत्तर प्रदेश में सामान्य गन्ने पर एसएपी 140 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि जल्दी कटने वाले गन्ने पर एसएपी 145 रुपये प्रति क्विंटल है।
वहीं तमिलनाडु में 105 रुपये प्रति क्विंटल है। निजी चीनी मिल मालिक की तरफ से मिलने वाली कीमतें भी 125-130 रुपये प्रति क्विंटल ही बैठ रही है, जो किसानों को कुछ खास राहत नहीं दे रही है।
कृषि मूल्य लागत आयोग(सीएसीपी) के एक उच्च पदाधिकारी आचार संहिता और चुनावी मुद्दा होने के चलते नाम न छापने की शर्त पर बताते है कि ‘वर्ष 2008-09 के लिए सीएसीपी ने गन्ने का एसएमपी लगभग 125 रुपये प्रति क्विंटल रखने का सुझाव दिया था। लेकिन कृषि मंत्रालय ने इसे घटाकर 107 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की बात कही है।’
इस बाबत सिंह कहते है ‘ कैबिनेट के सामने 107 रुपये प्रति क्विंटल एसएमपी देने की मांग भी अधर में है। इसलिए हम चाहते हैं कि सरकार एसएमपी को 200 रुपये प्रति क्विंटल करे ताकि किसानों को 20 से 25 फीसदी का मुनाफा हो सके ।’
पिछले 4 साल में एसएमपी में मात्र 1.18 रु. का इजाफा
किसान फेर रहे हैं गन्ना बुवाई से मुंह