उत्तराखंड में भुवन चंद्र खंडूड़ी के नेतृत्व वाली सरकार के सामने नए साल में सबसे बड़ी चुनौती तेज आर्थिक विकास मंठ आड़े आने वाली समस्याओं से निपटने की होगी।
इसके अलावा 2009 में खंडूड़ी केंद्रीय राहत पैकेज की समय सीमा को बढ़ाकर 2013 तक कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए नजर आएंगे। केंद्र सरकार द्वारा पर्वतीय राज्यों को लिए घोषित कर छूट योजना की समय सीमा 2010 में खत्म हो रही है।
खंडूड़ी ने 2009 के लिए अपनी योजनाओं के बारे में बताया कि उनकी सरकार ने राज्य के विकास के लिए जो सतत प्रक्रिया शुरू की है उसे 2009 में और तेज किया जाएगा।
खंडूड़ी ने बताया कि पहाड़ों के दुर्गम इलाकों में उद्योगों को लाने की योजना के साथ-साथ ऊर्जा संसाधनों का विकास, पर्यटन को नई ऊंचाई देना, राज्य में औद्योगिक क्रांति लाना तथा बागवानी और सुगंधित पौधों के कारोबार के जरिए लोगों को रोजगार मुहैया करना लोगों के लिए नए साल का तोहफा होगा।
उन्होंने कहा कि नए साल में उनकी पूरी कोशिश होगी कि उत्तराखंड के लिए मिलने वाले औद्योगिक पैकेज को 2013 तक बढ़ाने को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल जाए। मुख्यमंत्री ने बताया कि औद्योगिक विकास के साथ ही आम लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को और अधिक तेजी से चलाया जाएगा।
राज्य की आंतरिक सुरक्षा को और अधिक पुख्ता करने के अलावा वर्ष 2010 में हरिद्वार में लगने वाले महाकुंभ को सकुशल संपन्न कराने की तैयारी भी अगले वर्ष की प्राथमिकता होगी।
गंगा पर बन रही पनबिजली परियोजनाओं पर रोक का मुद्दा 2009 में भी छाया रहेगा।
पर्यावरण कार्यकर्ता जी डी अग्रवाल और उनके समर्थकों के विरोध के बाद उत्तराखंड सरकार ने यूजेवीएनएल की दो पनबिजली परियोजनाओं पाला मनेरी और भैरोंघाटी का काम रोक दिया था।
हालांकि लोहारी नागपाला में एनटीपीसी की 600 मेगावाट की पनबिजली परियोजना का निर्माण कार्य जारी है। स्थानीय लोग इस परियोजना को भी रोकने की मांग कर रहे हैं।