जब लखीमपुर खीरी में भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 4 अक्टूबर को 26 साल के शुभम मिश्रा के पास उनके बेहद करीब दोस्त का फोन आया तब उस दिन उन्हें तेज बुखार था। शुरुआत में वह इसमें शामिल होने के अनिच्छुक थे लेकिन फिर उनके दोस्तों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें उनका साथ देने के लिए मना लिया।
शुभम के छोटे भाई शांतनु मिश्रा ने कहा, ‘वह स्वस्थ नहीं थे। लेकिन उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया क्योंकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा वहां कई सरकारी योजनाओं की आधारशिला रखने वाले थे।’
शुभम भाजपा के उन तीन कार्यकर्ताओं में से एक थे जिन्हें तिकुनिया में कृषि विरोधी कानून के विरोध के दौरान एक कार द्वारा चार लोगों को कुचल दिए जाने के बाद किसानों ने पीट-पीट कर मार डाला था। शांतनु ने कहा, ‘उसका चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था…हम उसकी एक साल की बेटी को क्या कहेंगे? कोई नहीं जानता कि मेरे भाई को क्यों मारा गया। वह कार भी नहीं चला रहा था।’
हिंसा के पीडि़तों में भाजपा कार्यकर्ता 31 साल के हरिओम मिश्रा और काफिले में एक कार के ड्राइवर भी शामिल थे। हरिओम अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाला सदस्य थे और अपने बीमार पिता की देखभाल भी वही कर रहे थे।
हालांकि मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवारों को सरकार की ओर से मुआवजे के रूप में 45 लाख रुपये के चेक दिए गए हैं लेकिन वे न्याय चाहते हैं। हरिओम के चाचा चंद्रभाल ने कहा, ‘मंत्री (अजय मिश्रा) की पत्नी ने हमसे न्याय का वादा किया है। घटना के बाद वह हमारे घर भी आईं।’
यह पूछने पर कि क्या अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा तिकुनिया में किसानों को टक्कर मारने वाली एसयूवी चला रहा था, इस पर चंद्रभाल ने जवाब दिया, ‘अगर वह (आशीष) होता तो वह भी मारा जाता।’ घटना के समय शांतनु लखनऊ में मौजूद थे लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि शुभम के दोस्तों ने बताया कि आशीष मौके पर नहीं था।
हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्यों का तर्क है कि यह घटना पार्टी के समर्थकों और किसानों के बीच झड़प की वजह से हुई।
शांतनु ने आंदोलनकारियों के लाल किले के गुंबद पर चढऩे और उसे क्षतिग्रस्त करने की कोशिश वाली घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम भी किसान हैं और हम इन कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं। सरकार को इन तथाकथित किसानों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो इतने लंबे समय से विरोध के नाम पर हिंसा में लिप्त हैं। लाल किले की घटना आपको याद है?’
दूसरी ओर, चंद्रभाल ने आंदोलनकारी किसानों को खुली छूट देने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘सरकार को लिंचिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए नहीं तो भाजपा के और कार्यकर्ता उनके हाथों मारे जाएंगे। अगर भाजपा और सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो हम फिर कभी पार्टी को वोट नहीं देंगे।’