उत्तर प्रदेश सरकार शुक्रवार को विधानसभा में वर्ष 2009-10 का बजट पेश करते हुए भारी भरकम राजकोषीय घाटे और राजस्व बढ़ाने के उपायों से जूझती नजर आयी।
अफसरों ने हालांकि अपनी बाजीगरी से बजट के घाटे को छुपाने की हर संभव कोशिश की पर अंत में सरकार को कहना पड़ा कि लोक लेखों से समायोजन के बाद ही घाटे से पैदा होना वाली हालात संभलेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 1,33,596.98 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट पेश किया है जबकि राजकोषीय घाटा 23,298.69 करोड़ रुपये का अनुमानित है। मुख्यमंत्री मायावती ने इस साल भी बजट पेश करते हुए अपने सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले का पूरा ध्यान रखा है।
बजट में नयी योजनाओं के लिए 4,662.41 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इन योजनाओं में ज्यादातर शहरी गरीबों, महिलाओं और बालिकाओं के लिए है। वार्षिक बजट के साथ ही माया सरकार ने 4897.62 करोड़ रुपये की पूरक अनुदान मांगे भी रखी हैं।
राजधानी में प्रतिमाओं को लगवाने को लेकर लगातार विपक्ष की आलोचनाएं झेल रही मायावती ने इस साल भी इस मद में 103 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।
सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद बढ़े खर्च को पूरा करने के लिए करीब 3,600 करोड़ रुपए और कांशीराम और अन्य दलितों के नाम पर शुरु की गयी योजनाओं के लिए 1,200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।