बिहार के 5 जिलों के लोग कोसी नदी की बाढ़ का प्रकोप झेल रहे हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस घोषित राष्ट्रीय आपदा को आप तक पहुंचाने के लिए बाढ़ के दिनों में लगातार खबरें पहुंचाई।
तीन महीने बीत जाने के बाद आखिर क्या है वहां की स्थिति, यह बताने के लिए हम एक शृंखला पेश कर रहे हैं, जिससे वर्तमान स्थिति का जायजा लिया जा सके। बिहार में कोसी नदी के तटबंध के टूटने से आई बाढ़ की पीड़ा कम होने का नाम नहीं ले रही है।
तीन महीने बीत जाने के बाद भी बाढ़ का पानी उन 80 से अधिक गांवों के चारों ओर भरा है, जिधर से होकर नदी की नई धार गुजर रही है।
लोग बुझे मन से अपने गांवों को लौट गए हैं, लेकिन इलाके से पलायन करने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। सरकार का दावा है कि कुसहा में टूटे तटबंध की मरम्मत मार्च तक कर ली जाएगी।
बीरपुर न्यायालय में वकालत करने वाले संजय झा ने सहरसा में किराये का मकान ले लिया है। बीरपुर में अभी काम नहीं शुरू हो पाया है, न ही टूटे मकानों की मरम्मत हो पाई है। ऐसे में उन्होंने अपने बच्चे का एडमिशन सहरसा के एक स्कूल में करा दिया है।
उनकी ही तरह तमाम लोग ऐसे हैं, जो अपना गांव, कस्बा छोड़कर दूसरे शहरों की शरण ले चुके हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति थोड़ी सी भी बेहतर है। जिनका कोई सहारा नहीं है, वे लोग गांवों में लौट रहे हैं, क्योंकि इस समय खेतों में तो पानी भरा है, लेकिन गांव से पानी निकल चुका है।
बिहार सरकार के उद्योग मंत्री और स्थानीय विधायक दिनेश चंद्र यादव ने कहा, ‘पीड़ित लोगों को हर तरह की आवश्यक सरकारी मदद पहुंचाई जा रही है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब स्थिति सामान्य होने की ओर है। इसके साथ ही तटबंध के मरम्मत का काम शुरू हो गया है और अगले मार्च तक काम पूरा कर लिया जाएगा।’
नेपाल में कुसहा नामक स्थान पर तटबंध के टूट जाने से सुपौल, मधेपुरा, अररिया, सहरसा और पूर्णिया जिले के गांव प्रभावित हुए। पानी का स्तर गिरा है, लेकिन तटबंध की मरम्मत नहीं हुई है और अभी भी प्रतिदिन करीब 20 से 25 हजार क्यूसेक पानी इन इलाकों में आ रहा है।
जल स्तर घटने से तमाम जलमग्न इलाकों में पानी कम हुआ है, लेकिन इन 5 जिलों में 80 से अधिक गांव ऐसे हैं, जो टापू बने हुए हैं। हालांकि उन गांवों में भी लोग अपने घरों को संवारने जा रहे हैं।
बाढ़-सुखाड़ मुक्ति आंदोलन से जुड़े रणजीव ने पिछले सप्ताह कुसहा से कुरसेला तक की यात्रा की। उन्होंने बताया, ‘अभी भी करीब 10 लाख लोग पानी से घिरे हैं। विस्थापन तीन तरह का हुआ है। पहले तो वे लोग हैं जिन्होंने अन्य शहरों की शरण ले ली है, या अपने रिश्तेदारों के यहां गए हैं।
उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है और उन्होंने शहरों में आशियाना बसा लिया है। दूसरे, ऐसे मजदूर-जिनके परिवार के सदस्य अन्य राज्यों में मजदूरी करते हैं, वे भी अपने पूरे परिवार को ले जा चुके हैं। तीसरे, वे लोग जो बहुत ही गरीब हैं और राहत शिविरों में रह रहे थे, अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं।’
बाढ़ प्रभावित ब्लाक
सुपौल: बसंतपुर, प्रतापगंज, राघोपुर, छातापुर, त्रिवेणीगंज
मधेपुरा: शंकरपुर, पुरैनी, कुमारखंड, चौसा, सिंहेश्वर, आलमनगर, मुरलीगंज, मधेपुरा, बिहारीगंज, ग्वालपाड़ा, उदा किसुनगंज
अररिया: नरपतगंज, भरगामा, फारबिसगंज, रानीगंज (पश्चिमी)
सहरसा: सौर बाजार, नौहट्टा, पतरघट, सोनबरसा, सिमरी बख्तियारपुर, बनमी इटारी
पूर्णिया: बनमनखी, धमदाहा, बायसी, बड़हरा कोठी, अमौर, भवानीपुर, बैसा, रुपौली।