कानपुर की फिजाओं में एक बार फिर मशीनों की घड़घड़ाहट तेज हो सकती है, थकी हारी चिमनियां एक बार फिर जीवंत हो सकती हैं।
शहर की बंद पडी क़पड़ा मिलों को फिर से शुरू करने की कवायद जोर पकड़ने लगी है। कानपुर में ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन की बंद पड़ी फैक्टरी कानपुर टेक्सटाइल मिल (केटीएम) को फिर से चालू करने की कवायद शुरू हो चुकी है। यह मिल पिछले 10 वर्षो से बंद पड़ी है।
केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय ने उत्तर भारत कपड़ा शोध संघ (एनआईटीआरए) के एक दल को खास तौर से केटीएम में परिचालन बहाल करने की संभावना तलाशने के लिए कानपुर भेजा है।
इस दल में अभिजीत पाल और अटल विजय अग्रवाल शामिल थे। जांच दल ने मंत्रालय को मिल चालू करने के बारे में सकारात्मक रिर्पोट भेजी है। बीआईसी के महाप्रबंधक (वित्त और खाते) डी एस मिश्रा ने बताया कि ‘जांच दल ने माना है कि मिल को चालू करना पूरी तरह से व्यवहारिक है और करीब 25 करोड़ रुपये के निवेश से इसे आसानी से चालू किया जा सकता है।’
उन्होंने बताया कि जांच दल ने किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले मिल के पिछले साल की खाता-बही, मशीनों की उपलब्धता और उनकी स्थिति, कच्चे माल का भंडार का निरीक्षण किया। अभिजीत पाल ने इतनी बेहतर हालत वाली मिल को बंद करने के फैसले पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि लूम और मशीनों को थोड़ी बहुत ग्रीसिंग और आयलिंग के बाद इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
मिल में करीब 2 करोड़ रुपये कीमत की कपास की गांठे और तैयार धागे हैं। आटोमेटिक ब्यॉलर संयंत्र सही से काम कर रहा है और केटीएम लाल इमली के नाम से मशहूर कानपुर वूलेन मिल्स को 60 लाख रुपये कीमत का कोयला उधार दे रखा है। मिल के ऊपर करीब 2 करोड़ रुपये बकाया हैं। मिल की संपत्तियों को बेचकर इस कर्ज को आसानी से चुकाया जा सकता है।
बीआईसी प्रबंधन का कहना है कि मिल को फिर से चालू करने में आने वाली लागत को मिल की 50,000 वर्ग मीटर अतिरिक्त जमीन को बेचकर आसानी से जुटाया जा सकता है। इस बारे में अंतिम फैसला औद्योगिक और वित्तीय पुनर्गठन ब्यूरो (बीआईएफआर) और कपड़ा मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। इस मिल से प्रतिदिन करीब 70,000 मीटर कपड़ा तैयार होता था और यहां करीब 3,000 मजदूर काम करते थे।
इस मजदूरों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के तहत कार्यमुक्त किया जा चुका है।मिल को फिर से चालू करने की खबर से मजदूर उत्साहित तो जरूर हैं लेकिन उनके जेहन में यह सवाल भी है कि मिल के बहाल होने की स्थिति में आखिर कितने लोगों को काम पर वापस लिया जा सकेगा। बीआईसी अधिकारियों ने 3,000 कर्मचारियों में से करीब 800 की छंटनी करने के संकेत दिए हैं।
बीआईसी प्रबंधन के मुताबिक एल्गिन मिल के मुकाबले केटीएम को शुरू करने की संभावनाएं अधिक हैं। बीआईएफआर ने एल्गिन मिल को चालू करने के लिए 192 करोड़ रुपये का पुनरोद्धार पैकेज कपड़ा मंत्रालय को भेजा है।
मिश्रा ने बताया कि यदि कपड़ा मंत्रालय और बीआईएफआर द्वार मिल की पुनऊद्धार योजना को मंजूरी मिल जाती है तो मंत्रालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर को मिल को लिक्विडेटर से मुक्त करने के लिए कहेगा। किसी कंपनी के बंद होने की दशा में अदालत उन कंपनी की परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए लिक्विडेटर की नियुक्ति करती है। उन्होंने आगे कहा कि पूरी प्रक्रिया में छह महीने तक का समय लग सकता है।