तालाबों के शहर में हो सकती है पानी की किल्लत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:04 AM IST

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह ने इस बात का भले ही दावा किया हो कि उनकी सरकार ने लोगों के लिए पीने के पानी की समुचित व्यवस्था की है, लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि उनके सरकारी आवास पर ही पानी की सप्लाई बाधित है।


यहां तक कि मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के पास अलग अलग जगहों पर 600 फीट के कई गङ्ढे खोदे गए लेकिन कहीं भी पानी के किसी स्रोत का कोई पता नही चल पाया। पानी की यह कमी इस हद तक भयावह हो गई कि मुख्यमंत्री आवास पर टैंकरों के जरिये पानी की सप्लाई की व्यवस्था की गई ताकि पानी की कमी को पूरा किया जा सके।

यह कहानी केवल मुख्यमंत्री आवास की ही नही है बल्कि बड़े और पॉश इलाकों में भी पानी की कमी से लोगों को जूझना पड रहा है। पिछले कुछ वर्षों में राजधानी में पानी के स्तर में भारी गिरावट आई है। प्रख्यात इतिहासकार रामेन्द्र मिश्र ने कहा कि एक समय था जब रायपुर को तालाबों का शहर कहा जाता था। 

आजादी से पहले जहां राजधानी में 300 से ज्यादा तालाब हुआ करता था, वहीं आज यहां तालाबों की संख्या मुश्किल से 40-50 रह गई है। आजकल पानी का स्तर काफी नीचे गिर गया है और पानी को रिचार्ज करने की क्षमता भी काफी कम हो गई है। अभी रायपुर में प्रतिदिन पानी की खपत रोजाना 14 करोड़ लीटर प्रतिदिन है जो कि सप्लाई की मात्रा के बराबर है।

लेकिन अब अगर पानी की खपत में किसी भी तरह की बढोतरी होती है तो राजधानी को पानी के संकट से जूझना पड़ सकता है। रायपुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (आरएमसी) पानी को जमा करने के लिए 19 नए टैंक बना रही है। इस टैंक को बनाने में दो साल से ज्यादा का समय लग सकता है। वर्तमान में राजधानी में पानी की आपूर्ति गेंगरेल बांध से की जाती है। कॉरपोरेशन ने खारून पर एक एनिकट बनाया है जिससे 6 करोड़ क्यूबिक फीट पानी को जमा किया जा सकता है।

First Published : June 8, 2008 | 9:39 PM IST