उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए बीते कई सालों के मुकाबले इस बार की दीवाली अपेक्षाकृत कम दुश्वार रही है। जागरुकता के चलते कम इस्तेमाल और ज्यादातर ग्रीन पटाखों की खरीद के चलते बीते वर्षों के मुकाबले हवा की स्थिति में ज्यादा खराबी नहीं पाई गई है।
गाजियाबाद और मुरादाबाद में सबसे अधिक वायु प्रदूषण
इस दीवाली पटाखों के इस्तेमाल में आई कमी और कुछ अन्य वजहों से वायु प्रदूषण की स्थिति में थोड़ी राहत जरूर दिखी। हालांकि बुधवार सुबह प्रदेश के ज्यादातर प्रमुख शहरों में इसका स्तर खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। सबसे ज्यादा खराब स्थिति गाजियाबाद और मुरादाबाद में पाई गई है। इसके अलावा आगरा, बरेली, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, नोएडा, प्रयागराज और वाराणसी में भी वायु प्रदषण खराब स्थिति में पाया गया। इनमें से प्रयागराज और वाराणसी को छोड़कर सभी शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 के ऊपर दर्ज किया गया।
पटाखा कारोबार ने नहीं पकड़ी रफ्तार
पटाखा कारोबार करने वालों के लिए इस बार धंधा बेहतर नहीं रहा है। उनका कहना है कि दामों में करीब 60 फीसदी का इजाफा रहा जिसके चलते भी सामान्य दिनों में हुई दीवाली के मुकाबले इस बार कारोबार कमजोर रहा है। बीते तीन सालों में कोरोना के चलते कारोबार पर असर को देखते हुए इस बार बढ़िया धंधे की आस लगाए बैठे आतिशबाजों को निराश ही होना पड़ा है। राजधानी में पटाखा निर्माता व विक्रेता आशीष बताते हैं कि बाहर से लाए गए ग्रीन आयटम ज्यादा बिकें और प्रदूषण वाले पटाखे कम बिकें हैं। उनका कहना है कि ठीक दीवाली के दिन भी धंधा पहली जैसी तेजी नहीं पकड़ पाया।
कारोबारियों का कहना है कि युवाओं की पसंद को देखते हुए इस बार डिजिटल व क्यूआर कोड (QR Code) वाले पटाखे भी बाजार में उतारे गए। आम पटाखों से 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाने वाले ईको फ्रैंडली आयटम जरूर मांग में रहे हैं।
प्रयागराज और वाराणसी में सबसे कम प्रदूषण
पटाखों के पहले से कम इस्तेमाल और प्रशासन की देर रात चलाने पर की गई सख्ती के चलते वातावरण में प्रदूषण उतना नहीं रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक बुधवार की सुबह आगरा में AQI 289, बरेली नगर क्षेत्र में 261, गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में 332, गोरखपुर क्षेत्र में 231, कानपुर के किदवईनगर क्षेत्र में 203, लखनऊ में 277, मेरठ में 264, मुरादाबाद में 322 और नोएडा के सेक्टर 116 क्षेत्र में 276 पाया गया है। प्रदेश में सबसे कम प्रदूषण प्रयागराज नगर निगम क्षेत्र में 191 और वाराणसी में 171 पाया गया है।