वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्यरत निर्यात प्रोत्साहन परिषद (निर्यातोन्मुखी इकाइयां और एसईजेड) के महानिदेशक एल बी सिंघल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि किसी भी खास राज्य में सेज को स्थापित करने के लिए दो बातें जरूरी होती है।
पहला, एसईजेड डेवलपर उस खास राज्य में अपनी परियोजना लगाने की रूचि दिखा रहे हों और दूसरा, राज्य सरकार उस प्रस्ताव को स्वीकार कर केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजे। इन दोनों शर्तों के पूरा होने के बाद ही किसी खास राज्य में सेज इकाइयों की स्थापना का रास्ता बनता है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी तरह के सेज स्थापना का प्रस्ताव उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के पास आता है, तो इससे स्पष्ट है कि वहां भूमि अधिग्रहण और अन्य शर्तों को पहले से ही पूरा कर लिया गया है। प्रस्ताव निर्गत होने के समय इन सारी शर्तों को पूरा कर लिया जाता है।
वे कहते हैं कि अगर बिहार में एक भी एसईजेड का निर्माण नहीं हो रहा है, तो इससे साफ जाहिर है कि या तो डेवलपर वहां एसईजेड को लेकर अपनी रुचि नहीं दिखा रहे हैं या राज्य सरकार इस संबंध में उत्सुक नहीं है। उन्होंने कहा कि एसईजेड पर किसी प्रकार का विवाद नहीं है।
सेज में मिलने वाली सुविधाएं
निर्यात आय पर पहले पांच साल में 100 प्रतिशत आयकर में राहत। अगले पांच सालों तक आयकर में 50 प्रतिशत राहत
शुल्क रहित आयात
बैंक से 50 लाख डॉलर का सालाना कर्ज
केंद्रीय बिक्री कर और सेवा कर में छूट
केंद्रीय और राज्य स्तरीय स्वीकृतियों के लिए एकल खिड़की मंजूरी की सुविधा
आयकर कानून के तहत न्यूनतम वैकल्पिक कर में छूट
राज्य बिक्री कर और अन्य शुल्कों में छूट