उत्तर प्रदेश में मूल्य वर्धित कर (वैट) को लेकर एक बार फिर व्यापारी और सरकार सामने सामने हैं।
राज्य सरकार के वाणिज्य कर विभाग ने यह साफ कर दिया है कि 1 अप्रैल के बाद सभी लेन-देन की रसीद पर टिन (ट्रेडर) देना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही व्यापारी कच्ची रसीद पर वैट नहीं वसूल कर सकेंगे।
वाणिज्य कर विभाग के इन आदेशों के बाद उत्तर प्रदेश के व्यापारी संगठन एक बार फिर सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद और उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष बनवारी लाल कंछल ने मंगलवार को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर सरकार को ज्ञापन देने का ऐलान किया है।
कंछल ने महंगाई के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वैट लागू होने के बाद सूबे में रिकार्ड तोड़ महंगाई बढ़ गई है। सपा नेता के मुताबिक जल्द ही व्यापारी महंगाई के खिलाफ उठ खड़े होंगे और मायावती सरकार के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ी जाएगी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश वैट लागू करने वाला देश का अंतिम राज्य है। इस साल 1 जनवरी से राज्य में वैट लागू होने के बाद व्यापारियों ने दो दिन की बंदी करने के अलावा जिला मुख्यालयों पर धरना देकर और राजधानी में प्रदर्शन कर विरोध जताया था।
इसबीच वाणिज्य कर विभाग ने यह साफ किया है कि 1 अप्रैल से वैट की आड़ में व्यापारियों को मिल रही सहूलियतें खत्म हो जाएंगी। सभी माल के लेनदेन की पक्की रसीद तीन प्रतियों में रखनी होगी। एक बिल बुक में 50 से अधिक रसीदें नहीं होंगी। वाणिज्य कर आयुक्त सुनील कुमार के मुताबिक के्रता को दी जाने वाली रसीद पर अनिवार्य रूप से टिन नंबर होना चाहिए। सरकार ने महंगाई के लिए व्यापारियों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की घोषणा की है।