विवादास्पद कंपनी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड की बंद इकाई में पड़े 800 टन से अधिक जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने कोशिश तेज कर दी है।
पिछले महीने गैस राहत और पुनर्वास विभाग ने भारतीय सेना से जहरीले कचरे को हटाने का अनुरोध किया था। यह खतरनाक कचरा भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के परिसर में पिछले 20 सालों से पड़ा है।
सेना की सहायता लेने की कोशिश के अलावा राज्य सरकार ने खतरनाक कचरे को हटाने वाले आठ ट्रांसपोर्टस को पत्र लिखा है जिसमें केन्द्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम और शर्तो को बताया गया है। यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से 2 दिसंबर 1984 को विषैली गैस का रिसाव हुआ था जिसमें हजारों लोगों मारे गए थे।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘हमें भारतीय सेना से जवाब मिला है और इस प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा। इस मामले में हमें न्यायालय के निर्देशों का पालन करना होगा।’ इससे पहले राज्य सरकार द्वारा 46 टन चूना पत्थर को हटाने के लिए जारी की गई निविदा पर केवल छत्तरपुर स्थित एमके नागरिक परिवाहन और उद्योग सहकारी समिति ने बोली दाखिल की थी।
समिति ने चूना पत्थर का इस्तेमाल धार जिले में स्थित पीथमपुर में एक जमीन को पाटने के लिए किया। इस जमीन पर रामके समूह ने एक परियोजना का विकास किया है। इकाई में मौजूदा कचरे में से 376 टन कचरे को जमीन में गाड़ दिया जाएगा जबकि शेष को गुजरात स्थित भडूच एनविरो इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (बीईआईएल) में जला दिया जाएगा।
कचरे को वहां तक ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टर को केन्द्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कई मानकों को पूरा करना होगा। बोर्ड कचरे के परिवहन के लिए नियम और शर्ते तय करेंगे और परिवहन तथा हस्तांतरण की निगरानी करेंगे।
जमीन में गाड़ने वाले कचरे को ठोस रूप में जमा दिया जाएगा जबकि बाकी जहरीले कचरे को 1400 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर जलाकर नष्ट कर दिया जाएगा। पिछले महीने विभाग ने एक एजेंसी द्वारा सुझाई गई परिवहन कंपनियों को कचरे के हस्तांतरण के लिए पत्र लिखा था। इन कंपनियों में श्री शक्ति इंटरप्राइजेज, कृष्णा ट्रांसपोर्ट, अंबिका ट्रांसपोर्ट, शक्ति ट्रांसपोर्ट, पार्थ ट्रांसपोर्ट और गुजरात ट्रांसपोर्ट के नाम शामिल हैं।