बसों पर नहीं उप्र का बस

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:47 PM IST


उत्तर प्रदेश सरकार की राष्ट्रीय राजमार्गों पर निजी ऑपरेटरों की बसें दौड़ने की ख्वाहिश परवान चढ़ने से पहले ही दम तोड़ती नजर आ रही है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद निजी ऑपरेटरों ने प्रदेश की सड़कों पर अपनी बसें दौड़ाने मे रुचि नहीं दिखायी है। परिवहन विभाग ने निजी ऑपरेटरों से प्रदेश के 475 राष्ट्रीय राजमार्गों पर बसें चलाने के लिए निविदाएं मांगी थी । निजी क्षेत्र ने सरकार की शुरुआती शर्तों को तो पहले ही नकार दिया था पर निविदा की समूची प्रक्रिया को सरल करने के बाद उसे निजी ऑपरेटरों से सहयोग की आशा थी। महीने भर का मौका देने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को केवल दो ही निजी ऑपरेटरों की बिड मिली जिन्हें बुधवार को परिवहन विभाग के शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में खोला गया। हैरतअंगेज बात तो यह रही कि इतनी कवायद के बाद भी जिन दो निजी ऑपरेटरों ने निविदा प्रक्रिया में भाग लिया उनमें से किसी ने जरूरी 25 लाख रुपए का ड्राफ्ट भी लगाना जरुरी नहीं समझा। इन दो निजी ऑपरेटरों ने इसके अलावा निविदा पत्र के और भी जरुरी प्रश्नों का जवाब नहीं दिया है।


परिवहन विभाग के अधिकारियों से बात करने पर पता चला कि लखनऊ की सेंट्रल ट्रांसपोर्ट कंपनी और आगरा की सहकारी संस्था आईएसी ने निविदा प्रक्रिया में भाग लिया था। पर इन दोनों ने इस समूची प्रक्रिया को कितनी गंभीरता से लिया इसका पता इसी बात से चलता है कि किसी ने भी गारंटी मनी की राशि तक लगानी जरुरी नहीं समझी। परिवहन विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अब फिर से निविदाएं मंगाने के अलावा कोई चारा नहीं है। सरकार हालांकि अब भी आशा कर रही है कि निजी ऑपरेटरों को लाभ का गणित समझाने के बाद ज्यादा लोग निविदा प्रक्रिया में भाग लेंगे।


उधर परिवहन कर्मचारी नेताओं का कहना है कि निजी क्षेत्र की रुचि बसें चलाने में नहीं है। उनका कहना है कि निजी क्षेत्र परिवहन निगम के बस स्टेशनों की बेहिसाब कीमती जमीन पर निगाह लगाए हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियां पहले से ही बस स्टेशनों को लीज पर लेने के लिए अपनी रुचि दिखा चुके हैं। हालांकि अधिकारियों से पूछने पर बताया गया कि सरकार बस स्टेशनों के निजीकरण का प्रस्ताव पहले ही खारिज कर चुकी है।


उत्तर प्रदेश में पहले भी कई बार निजी बस ऑपरेटरों द्वारा बसें चलाने में अरुचि दिखाई गई थी। लेकिन राज्य सरकार ने परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने और राज्य परिवहन विभाग को फायदे में ले जाने के लिए राष्ट्रीयकृत मार्गो में निजी बस ऑपरेटरों को बस चलाने देने का मन बनवाया था। लेकिन बस ऑपरेटरों द्वारा मिल रहें असहयोग ने राज्य परिवहन विभाग की इस योजना पर पानी फेर दिया है।

First Published : October 5, 2008 | 9:15 PM IST