उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के कारोबारी जनवरी से कामकाज बंद कर देंगे।
प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए इन व्यापारियों का कहना है कि अगर उनके उत्पादों पर लागू किए गए प्रवेश कर को वापस नहीं लिया गया तो यहां से कारोबार खत्म हो जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के व्यापारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के बाहर के राज्यों में उत्पाद यहां के मुकाबले सस्ते हैं जबकि यहां पर महंगे।
उनका तर्क है कि उपभोक्ता धीरे-धीरे बाहर के राज्यों से ही सामान खरीदेंगे जिसके चलते उनका कारोबार खत्म हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स व्यापार संघ के अध्यक्ष सी के मलिक व महामंत्री अनिल विरमानी का कहना है कि राज्य में पहले से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों पर 12.5 फीसदी की दर से वैट लिया जा रहा था ।
जो बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। अब सरकार ने इन उत्पादों पर 2 से 5 फीसदी का प्रवेश कर लगा दिया है जो कारोबारियों को बर्दाश्त नहीं है।
राज्य सरकार ने रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और एयर कूलिंग प्लांट पर 5 फीसदी का प्रवेश कर लगाया है जबकि टेलीविजन, एलसीडी टीवी, कंप्यूटर सिस्टम पर 2 फीसदी की दर से प्रवेश कर लगा दिया है।
यह कर अक्टूबर माह में लगा दिया गया था जब प्रदेश सरकार ने वैट की दरों में संशोधन किया था। गौरतलब है कि राज्य सरकार को हर साल इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबार से 400 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। अकेले लखनऊ में ही इलेक्ट्रॉनिक्स का सालाना कारोबार 200 करोड़ रुपये है।
पूरे प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का व्यावसाय 3000 करोड़ रुपये सालाना है। व्यापारियों का तर्क है कि सरकार के मुकाबले उनका मुनाफा 5 फीसदी भी नहीं पड़ रहा है।
अनिल विरमानी का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के कारोबार में पहले से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा है जिसके चलते व्यापारी बहुत ही कम मुनाफे पर काम करते हैं।
उनका कहना है कि प्रवेश कर लाद देने के बाद कारोबार बंद किए जाने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है। राज्य सरकार ने पहले मोबाइल फोन पर प्रवेश कर लगाया था जिसे व्यापारियों के कड़े विरोध के बाद वापस ले लिया गया।