उत्तर प्रदेश आज कल भारी बिजली की किल्लत को झेल रहा है। पारे के 42 डिग्री सेल्सियस के पार पहुचने के बाद राज्य के कई स्थानों में बिजली की मांग और आपूर्ति में काफी अंतर हो गया है।
उत्तर प्रदेश में रोजाना 2 हजार मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है। यूपीपीसीएल (उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड) ने बिजली की इस तंगी से जूझने के लिए नियत और अनियत दोनों तरह की कटौती करने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश में अभी 5,500 मेगावाट बिजली उपलब्ध है जबकि इसकी मांग 7,500 से 8,000 मेगावाट है। हालात यहां तक पहुंच गए है कि उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से मुहमांगे दामों पर बिजली खरीदने को तैयार है। यूपीपीसीएल के प्रंबध निदेशक अवनीश अवस्थी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हम बिजली उत्पादन क्षमता को सुधारने के साथ हम दूसरे राज्यों से बिजली खरीदने का मन बना रहें है।
उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के प्रंबध निदेशक आलोक टंडन का कहना है कि अनपरा में 500 मेगावाट वाली विधुत उत्पादन इकाई को सुधार हेतु कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया है। इससे भी राज्य के विद्युत उत्पादन में कमी आई है। राज्य में एनटीपीसी की दो-तीन इकाइयां भी कम उत्पादन कर रही है। इससे राज्य में उठ रही बिजली की अतिरिक्त मांग को पूरा करने में बड़ी कठिनाई आ रही है।
उत्तर प्रदेश में जल और ताप की कुल 26 इकाइयां है। इनकी उत्पादन क्षमता लगभग 2700 मेगावाट है। इसके अलावा 3 हजार मेगावाट बिजली को केन्द्र से प्राप्त किया जाता है। बिजली की इस कमी के चलते लोगों को भारी बिजली की कटौती को झेलना पड़ रहा है।
ग्रामीण और उपनगरीय इलाकों के तो और भी बुरे हाल है। राज्य की राजधानी लखनऊ में भी कई इलाकों को किसी भी समय बिजली चले जाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। लखनऊ व्यापार मंडल के महासचिव चन्द्र कुमार छाबड़ा का कहना है कि बिजली आपूर्ति में होती कटौती ने व्यापारियों के लिए नई समस्या को खड़ा कर दिया है।
भारतीय उद्योग संघ के कार्यकारी निदेशक डी एस वर्मा ने कहा कि बिजली समस्या उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए अभिशाप बन गई है। वर्मा ने कहा कि इस बुरे हाल के चलते औद्योगिक इकाइयां उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जा रही है। यहां नहींग्रैटर नोएडा को राज्य सरकार द्वारा 24 घंटे बिजली आपूर्ति का वादा मिलने के बावजूद भी यहां के हालात उद्योगों के लिए अच्छे नहीं है। उन्होंने हालात में जल्द सुधार करने की मांग की।