उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का निर्माण शुरू होगा। प्रदेश सरकार ग्रेटर नोएडा के तहत आने वाले यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण में मेडिकल डिवाइस पार्क और बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में फार्मा पार्क बनाएगी। योगी सरकार की तैयारी प्रदेश को दवा और मेडिकल उपकरण निर्माण का केंद्र बनाकर चीन और अमेरिका को टक्कर देने की है। जल्दी ही ग्रेटर नोएडा और ललितपुर में पार्कों के निर्माण का काम शुरू होगा।
औद्योगिक विकास तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सेक्टर 28 में 350 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा। इसे दो चरणों में बनाया जाएगा। पहले चरण में 125 एकड़ में शेड बनाकर उद्योगों को आवंटित किए जाएंगे। दूसरे चरण में 225 एकड़ एरिया में भी यही योजना आएगी। इस पार्क में देसी-विदेशी कंपनियों को जमीन आवंटित की जाएगी। उनसे करीब 18,000 करोड़ रुपये का निवेश और 35,000 युवाओं को रोजगार मिलेगा। इस मेडिकल डिवाइस पार्क को वर्ष 2023 में पूरा करने का लक्ष्य है। जल्दी ही इस पार्क के निर्माण कार्य का शिलान्यास मु यमंत्री करेंगे।
पिछले साल केंद्र सरकार ने चिकित्सा उपकरण और दवा के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए फार्मा पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना विभिन्न प्रदेशों में कराने का निर्णय लिया था। केंद्र की नीति के मुताबिक ये पार्क उन्हीं राज्यों में बनने थे, जहां का बुनियादी ढांचा बेहतर होगा। साथ निवेश करने वाले उद्यमियों को केंद्रीय औषधि विभाग की ओर से वित्तीय मदद दी जाएगी। अभी देश में चार मेडिकल डिवाइस पार्क हैं, जो दक्षिण के राज्यों – आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में स्थित है। उत्तर प्रदेश में इस तरह का कोई पार्क नहीं है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर प्रदेश में फार्मा पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना के लिए जमीन की तलाश की गई। कानपुर, उन्नाव, ललितपुर तथा पीलीभीत में फार्मा पार्क की स्थापना के लिए जमीन चिह्नित की गई, जबकि मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने सेक्टर 28 में 350 एकड़ भूमि चिह्नित की गई। मुख्यमंत्री ने यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा चिह्नित की गई भूमि पर मेडिकल डिवाइस पार्क तथा ललितपुर में चिह्नित की गई भूमि पर फार्मा पार्क की स्थापना करने पर अपनी सहमति दी थी। इसी के बाद इन पार्कों की स्थापना का प्रस्ताव तैयार कर उसे केंद्र सरकार को भेजा गया। केंद्र की सहमति मिलते ही इन पार्कों के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। मेडिकल डिवाइस पार्क में कई रेडियोलॉजिकल डिवाइस लगाने की तैयारी है। जिनमें सिटी स्कैन, एक्सरे मशीन, बीपी मॉनिटर, पल्स ऑक्सीमीटर, वेंटिलेटर आदि को शामिल किया गया है।
औद्योगिक विकास के अधिकारियों का कहना है कि ये पार्क सूबे के दवा और मेडिकल उपकरण विनिर्माण कारोबार को मजबूती प्रदान करेंगे। मौजूदा समय में राज्य में अधिकांश महत्त्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों का आयात किया जाता है। इसमें 75 फीसदी हिस्सा आयातित औजारों का होता है। अभी देश में चिकित्सा एवं दंत रोग उपचार के उपकरण बनाने वाले कुल 316 कारखाने हैं, जिनमें से करीब 10 फीसदी कारखाने उत्तर प्रदेश में हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश, गुजरात के बाद दूसरे स्थान पर है। गुजरात में करीब 18 फीसदी चिकित्सा उपकरण बनाने वाले कारखाने हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का कारोबार 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है, जबकि पूरे देश में ये कारोबार करीब 5,300 से 6,000 करोड़ रुपये का है।