केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही कर राहत से उत्तराखंड के पैकेजिंग उद्योग को पांव पसारने में मदद मिल रही है।
केन्द्र सरकार द्वारा 2003 में रियायती औद्योगिक पैकेज (सीआईपी) की घोषणा के बाद राज्य में 100 से अधिक पैकेजिंग इकाइयां अपना डेरा जमा चुकीं हैं। सीआईपी के तहत राज्य में नई औद्योगिक इकाइयों के साथ ही मौजूदा इकाइयों के लिए आयकर छूट, उत्पाद कर में छूट और निवेश की गई पूंजी पर सब्सिडी जैसी कई छूट देने का प्रावधान किया गया है।
इन इकाइयों में से अधिकतर इकाइयों की स्थापना मोहाबेवाला, सेलाकी और हरिद्वार औद्योगिक इकाइयों में की गई है। इन इकाइयों में फ्लेक्सी पैकेजिंग से लेकर रिगिड पैकेजिंग जैसी लगभग सभी तरह की पैकेजिंग सुविधाएं हैं। पेपर इकाइयों और ग्लास आधारित इकाइयों में इनका इस्तेमाल किया जाता है। इन इकाइयों में अभी तक 250 करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया जा चुका है। उद्योग सूत्रों ने बताया है कि इन इकाइयों से अभी तक 5,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
जानकारों का कहना है कि राज्य की पैकेजिंग इकाइयों के सामने हालांकि ग्राहकों से समय से भुगतान हासिल करना एक अहम मसला है। समय से भुगतान नहीं होने के कारण कई विनिर्माताओं को कच्चे माल की खरीद के लिए नकदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सत्य इंडस्ट्रीज के मालिक पंकज गुप्ता ने बताया कि कारोबारियों को नकद भुगतान कर कच्चा माल खरीदना पड़ता है जबकि भुगतान छह महीने और कभी कभी तो उसके भी बाद किया जाता है।
नकदी के संकट का मुकाबला करने के लिए पैकेजिंग कारोबारी एक कार्पस का गठन करने की योजना बना रहे हैं। इस कोष के जरिए कारोबारी आपस में एक दूसरे को आसान शर्तो पर कर्ज दे सकेंगे। इस मामले में कारोबारियों की मदद के लिए सिडबी भी तैयार है।
सिडबी के के उप महाप्रबंधक संजय एन गोयल ने बताया कि ‘यदि कलस्टर विकास के लिए कोई योजना बनाई जाती है तो हम मदद के लिए तैयार है।’ राज्य में एलजी जैसी इलेक्ट्रानिक वस्तुएं बनाने वाली कंपनियां अपनी इकाइयों की स्थापना कर रही हैं। इसलिए नकदी के संकट के बावजूद उद्योग कारोबार में अच्छी खासी-बढ़ोतरी को लेकर उत्साहित है।
उत्तराखंड में उद्योगों की दी जा रही ही छूट के कारण कई कंपनियों ने अपने विनिर्माण संयंत्र की स्थापना की है। विनिर्माण गतिविधियों में तेजी के साथ पैकेजिंग कारोबार भी बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर एफएमसीजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईटीसी ने राज्य में अपने ग्रीनफील्ड कार्टन बोर्ड इकाई की स्थापना की है। इस इकाई के लिए 200 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।