राजस्थान की मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे ने कहा है कि निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) से निश्चित तौर पर विकास की बयार लाई जा सकती है, बशर्ते ज्यादा से ज्यादा कार्पोरेट जगत के लोग इसके लिए आगे आए।
राजे नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित कार्पोरेट सामाजिक सुधार के दो दिवसीय कार्यक्रम में निजी सार्वजनिक साझेदारी में कार्पोरेट हाउसों और सरकार की भूमिका विषय पर आधारित चर्चा में बोल रही थी।
राजस्थान की मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से पांच साल पहले जब भाजपा सरकार राजस्थान में आई थी तो राज्य में पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। निवेश का टोटा लगा हुआ था। पीपीपी के लिए राज्य में कोई भी बड़ी कंपनी रुचि नहीं दिखा रही थी। लेकिन आज राजस्थान में हालात बदल चुके है। पर्याप्त बुनियादी ढांचे (सड़क, बिजली, पानी) के चलते पीपीपी मॉडल को अपनाने में काफी आसानी हो रही है।
इस समय राज्य में 18 योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए पीपीपी मॉडल को अपनाया गया है। इन योजनाओं में से लगभग 10 योजनाओं को जमीनी स्तर पर शुरु भी किया जा चुका है। राजे ने कहा राजस्थान में प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थय के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रो को पीपीपी के दायरे में लाकर इन क्षेत्रों को पहले की अपेक्षा काफी सशक्त किया जा सका है।
राजे ने आगे कहा कि पीपीपी के जरिए कंपनी अपना सामाजिक आधार तैयार कर सकती है। लेकिन पीपीपी के तहत निजी औद्योगिक और कार्पोरेट इकाइयों को मनमाफिक छूट प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि देश में गरीबो और अमीरों के बीच एक बड़ी खाई है। इस खाई को कम करने के लिए सरकार को हस्तक्षेप की नीति अपनानी पड़ती है। ऐसा न करने पर देश का सामाजिक आधार कं पनियों के निजी लाभों की बलि चढ़ जाएगा।
उन्होंने कहा कि राजस्थान के साथ ही पूरे देश में बुनियादी विकास के संपूर्ण विकास के लिए कार्पोरेट क्षेत्र द्वारा अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने का सही समय आ गया है और इसके लिए जरुरी है कि भारी संख्या में कार्पोरेट दिग्गज व कंपनियां आगे आए।