कार निर्माताओं और पुरारी गाड़ियों की खरीद-फ्रोख्त करने वालों को लगता है कि यदि दिल्ली सरकार द्वारा 15 साल से पुराने यात्री वाहनों को नष्ट करने के प्रस्ताव पर अमली जामा पहनाया जाता है तो उनके कारोबार में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
दिल्ली में करीब 5 लाख यात्री वाहन ऐसे हैं जो इस श्रेणी में आते हैं।एंजेल ब्रोकिंग की विश्लेषक वैशाली जाजो ने बताया कि यदि इनमें के केवल 15 प्रतिशत वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान नई गाड़ी खरीदने का फैलसा करनते हैं तो करीब 2.9 लाख यात्री गाड़ियों की अतिरिक्त बिक्री होगी। इससे गाड़ियों की बिक्री में भारी तेजी आएगी जो उद्योग के लिए अच्छी खबर है।
वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान करीब 17.7 लाख यात्री गाड़ियों की बिक्री हुई थी। उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि करीब 5 लाख वाहनों को चलता किया जा सकता है। इस गाड़ियों से सबसे ज्यादा संख्या एम्बेसडर और फिएट पद्मिनि की है, जिनका इस्तेमाल आमतौर पर टैक्सी के लिए किया जाता है। इस गाड़ियों के दायरे में मारुति 800 के शुरुआती संस्करण भी आ जाएंगे।
एम्बेसडर के निर्माताओं को हालांकि कोई शिकायत नहीं है। सीके बिड़ला समूह के कारपोरेट संचार की प्रमुख सोनी श्रीवास्तव ने बताया कि ‘हमने इससे पहले भी समय समय पर ऐसी चुनौतियों का सामना किया है। मौजूदा 15 साल से पुरानी कार को कबाड़ घोषित करने का प्रस्ताव हमारे लिए एक अवसर है जिसके तहत हम अपने ऐसे बेड़े को पेश कर सकते हैं जो सभी नियमनों को पूरा करते हों।’
वर्ष 2007 में हिन्दुस्तान मोटर्स ने कोलकाता में टैक्सी ड्राईवरों के लिए एक एक्सचेंज कार्यक्रम की शुरुआत की थी। अपनी इस पहल के तहत एचएम ने ड्राईवरों को पुरानी गाड़ी के बदले नई एम्बेसडर खरीदने में मदद की थी।
सोनी ने बताया कि हमने टैक्सी वालों को कोई छूट देने की जगह उन्हें नई एम्बेसडर खरीदने के लिए कर्ज लेने में मदद की और जहां ब्याज दरें बाजार दरों के मुकाबले कम थी। एचएम ने पिछले तीन साल के दौरान 5,000 से अधिक पुरानी एम्बेसडरों को नई एम्बेस्डरों में बदलने में कामयाबी हासिल की है।
दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव से पुरानी गाड़ियों का कारोबार करने वाले भी खुश हैं। नेटवर्क एंड बिजनेस डिवेलपमेंट के उपाध्यक्ष सुनील मित्तल ने बताया कि इस प्रस्ताव से अच्छी गुणवत्ता वाली पुरानी गाड़ियों की मांग बढ़ेगी। करीब 1 से 7 साल तक पुरानी गाड़ी को खरीदने के लिए कर्ज मिल जाता है। आटो मार्ट महिंद्रा एंड महिंद्रा की सहायक इकाई है। दस साल से पुरान कार की बुक वैल्यू बिल्कुल खत्म हो जाती है और इस कारण गाड़ी की खरीद-फ्रोख्त के लिए धन नहीं मिलता है।