‘कब मिली फिल्म नगरिया हमार’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 12:11 AM IST

मायानगरी से अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, जया बच्चन सरीखे बड़े नाम जोड़ने के बाद भी उत्तर प्रदेश में आज तक फिल्म सिटी की योजना परवान नहीं चढ़ सकी है।
खास तौर पर भोजपुरी फिल्म उद्योग आज भी फिल्म सिटी की बाट जोह रहा है। पिछले मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव  ने फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए तमाम वादे किए थे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
फिल्म सिटी के नाम पर नोएडा में हुई पहल भी न्यूज सिटी बन कर रह गयी। फिल्म के नाम पर वहां एडिटिंग, निर्देशन वगैरह का ककहरा पढ़ाने वाले कॉलेज ही खुले। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों का विरोध होने की वजह से भी भोजपुरी फिल्म सिटी बनाने की बात जोर पकड़ रही है।
इस बार भोजपुरी फिल्म सिटी बनाने की पहल सरकार से पहले खुद इसी उद्योग के सितारों ने की है। भोजपुरी फिल्मों के चर्चित कलाकार मनोज तिवारी और रवि किशन के साथ कई अन्य कलाकार भी इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे मनोज तिवारी को लगता है कि भोजपुरी फिल्मों का बड़ा बाजार उत्तर प्रदेश और बिहार है, इसलिए फिल्में भी यहीं बने, तो बेहतर होगा।
भोजपुरी फिल्मों में सुपर स्टार का तमगा पा चुके रवि किशन की भी यही राय है। वह भी मानते हैं कि  इस भाषा की फिल्मों का निर्माण उत्तर प्रदेश में होना चाहिए। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में रवि किशन ने कहा कि फिल्म सिटी बनाने की दिशा में तेजी से प्रयास हो रहा है। उनका कहना है कि भोजपुरी के कलाकार राज्य सरकार के सहयोग से फिल्म सिटी का सपना साकार करेंगे।
‘गांव देस’, ‘तुलसी तोहरे आंगन की’ और ‘तोहार प्यार चाही’ जैसी चर्चित भोजपुरी फिल्मों की निर्मात्री और नायिका मधु तिवारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भोजपुरी फिल्म सिटी से कई मुश्किलें हल होंगी और स्थानीय लोगों को काम भी मिलेगा।
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि शूटिंग के लिए उत्तर प्रदेश में कई अच्छी लोकेशन मौजूद हैं और फिल्म सिटी के बनने के बाद डबिंग, एडिटिंग आदि की सुविधा यहीं पर मिलेगी, जिससे लागत कम आएगी। वह कहती हैं कि फिल्म सिटी गोरखपुर, वाराणसी या प्रतापगढ़ कहीं भी बना दी जाए, भला तो कलाकारों का ही होगा।
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First Published : February 6, 2009 | 2:03 PM IST