रियल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों को अपनी ओर खींचने के लिए बिल्डरों और डेवलपरों के बीच भारी होड़ मची हुई है।
वे लोगों को लुभाने के लिए एक से एक योजनाएं बना रहे हैं। इन योजनाओं के तहत उपभोक्ताओं को ऐशो-आराम से जुड़ी सुविधाओं, पार्किगं की सुविधा, टाउनशिप के अंदर घुमने के लिए कार की मुफ्त सेवा , कड़ी सुरक्षा, अच्छी लोकेलिटी, आर्थिक सहायता और इको-फै्रंडली वातावरण का लॉलीपाप दिखा रहें है। इन सभी बातों के अलावा मकान बेचने के लिए अब धर्म का सहारा भी लिया जा रहा है।
श्री ग्रुप के निदेशक सुदीप अग्रवाल कहते है हमनें मथुरा में वृंदावन के सामने श्री राधाब्रज वसुंधरा नाम से एक योजना बनाई है। इस योजना में कंपनी 1 और 2 बेडरुम वाले कॉटेज बना रही है। हमारा लक्ष्य लोगों को शहर की भागती जिंदगी से दूर कुछ आध्यात्मिक पल बिताने को मौका देना है। वृद्ध लोग यहां आकर भगवान की भक्ति में लीन हो सकते है। इसके लिए उन्हें कोई जहमत भी उठाने की जरुरत नहीं है। क्योंकि हम बुनियादी सुविधाओं वाली वस्तुएं घर खरीदने के साथ मुफ्त में दे रहें है।
पिछले कुछ सालों से मेट्रों शहरों के विकास होने के साथ ही यहां एकल परिवारों की संख्या काफी बढ़ गई है। इस कारण पर्याप्त सुरक्षा वाले मकानों की मांग में अच्छी खासी वृद्धि हो रही है। इस बाबत गाजियाबाद में एसवीपी गु्रप के सीईओ सुनील जिंदल कहते है कि हमने गाजियाबाद में एकल परिवारों की बढ़ती संख्या देखकर गुलमोहर ग्रीन नाम से रिहायशी योजना बनाई है।
इस योजना की खास बात इसमें ई-होम सुविधा का होना है। इसके जरिए आप अपने मोबाइल से घर की सुरक्षा और आवश्यक कामों को पूरा कर सकतें है। हमनें एकल परिवार होने के कारण सुरक्षा कारणों को पर्याप्त तरजीह दी है। प्रॉपर्टी के जानकारों का कहना है कि ये योजनाएं निश्चित तौर पर सुधरते जीवन स्तर को दिखाने के बावजूद देश के आम आदमी की जेब से दूर है।
क्योंकि इनकी लागत 25 से 35 लाख रुपये के बीच होती है। इन्हें खरीदने में आम आदमी की जिंदगी गुजर जायेगी। इस बाबत सुदीप अग्रवाल ने कहा कि खास तौर पर यह योजनाएं मध्यम वर्गीय और उच्च मघ्यम वर्गो को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। इन मकानों को आम लोगों की पहुंच में लाने के लिए अब बिल्डर्स कई तरह की बजटीय सहायता भी करते है। बिल्डर्स ग्राहक को सस्ती दरों में कर्ज दिलाने से लेकर, उसकी ईएमआई तक को वहन करने का जिम्मा उठाते है।
इन सभी बातों के इत्तर कुछ बिल्डर ऐसे भी है जो लोकेशन के नाम पर लोगों को अपने मकान बेचना चाहते है। गुडगांव स्थित मैपस्को के बिक्री और विपणन के महाप्रंबधक अरिंदम कुमार का कहना है कि हमनें गुड़गांव में कासाबेला नाम की योजना बनाई है। जो एनएच-8 पर है। इसकी खास बात यह है कि क्नाट प्लेस यहां से केवल आधा घंटे की दूरी पर है। इससे दिल्ली और गुड़गांव के बीच काम करने वाले लोगों को काफी सुविधा मिलेगी।
इन सभी बातों पर प्रॉपर्टी पंडितों के एक वर्ग का मानना है कि वास्तव में बिल्डरों और डेवलपर कंपनियों द्वारा ये विपणन रणनीतियां मंदी के दौर में अपने घाटे को बचाने के लिए अपनाई जा रही है। वास्तव में बिल्डरों द्वारा जितनी भी योजनाएं बनाई गई है।
वह उच्च मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई गई है। लेकिन समाज में इन वर्गो का अनुपात बहुत ही सीमीत है। इसकी वजह से मांग की अपेक्षा आपूर्ति ज्यादा हो गई है। और बिल्डरों को अपनी लागत निकालने के लिए इस तरह की रणनीतियों का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं प्रॉपर्टी पंडितों के दूसरे वर्ग का मानना है कि वास्तव में पिछले दो सालों में शेयर बाजार कई बार उठा और गिरा है।