बौद्धिक संपदा अधिकारों को जैव प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने और उसका इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में कर आम आदमी की आमदनी को बढ़ाने के लिए बायोटेक पार्क ने लखनऊ में ‘बौद्धिक संपदा और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अवसर’ नाम से एक कार्यशाला का आयोजन किया।
इस कार्यशाला का मकसद शोधार्थियों, अकादमी से जुड़े लोगों और उद्यमियों को उन अवसरों से अवगत कराना था जिनके जरिए कृषि के क्षेत्र में किए गए अभिनव प्रयोगों को संरक्षित किया जा सके।
इस कार्यशाला में वैश्विक जनसंख्या की भोजन संबंधी चुनौतियों, कृषि भूमि का खाद्यान्न और जैव-ईधन के बीच बंटवारा, निर्यात के लिए खास तौर से खेती करने के संदर्भ में किसानों के अधिकार, और उपज का मूल्य वर्धन करने जैसे विषयों पर चर्चा की गई। इसके अलावा फसल तैयार होने के बाद उपज का भंडारण और बिक्री जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
कार्यशाला का उद्धाटन केन्द्रीय दवा शोध संस्थान के निदेशक नित्यानंद ने किया। नित्यानंद ने अभिनव प्रयोगों, समाज के लिए उनका इस्तेमाल और बौद्धिक संपदा अधिकारों के जरिए शोधकर्ता के हितों की रक्षा करने पर जोर दिया। विभिन्न संस्थानों के करीब 60 लोगों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। इस दौरान सीआईएमएपी के निदेशक एसपीएस खनूजा, सीआईएसएच के वैज्ञानिक रमेश चन्द्र और एनबीआरएल के वैज्ञानिक सी एस नौटियाल ने प्रस्तुतिकरण पेश किया।