संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाई गई मुजफ्फरनगर, सीतापुर और कई अन्य किसान महापंचायतों में से सभी में दलजीत सिंह से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया। दलजीत उन चार किसानों में से एक थे जो लखीमपुर में एक एसयूवी की चपेट में आ गए थे। दलजीत सिंह के बेटे राजदीप सिंह ने बताया, ‘उन्होंने दर्जनों किसानों को धरना में शामिल होने को कहा था। मैं भी साथ में जुड़ गया।’ उन्होंने कहा, ‘हम शांति से मार्च कर रहे थे जब तीन कारें हमारे ऊपर चला दी गईं।’
घटना में मारे गए एक अन्य किसान गुरविंदर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह ने कहा, ‘जब योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनकर सत्ता में आए तो उन्होंने हमसे ‘राम राज्य’ (कानून का शासन) का वादा किया। जबकि आज उनकी पार्टी के कार्यकर्ता दिनदहाड़े लोगों की हत्या कर रहे हैं और सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।’
उत्तर प्रदेश सरकार ने चारों किसानों के परिजनों को 45 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने का फैसला किया है। शोक संतप्त परिवारों का केवल यही कहना है कि उन्हें पैसा नहीं बल्कि उन्हें उनका बेटा वापस चाहिए। लखीमपुर खीरी में किसानों ने आरोप लगाया है कि अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा ही कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को कुचलने वाली कार में सवार था। यह पूछने पर कि क्या आशीष तिकुनिया में दुर्घटनास्थल पर मौजूद थे, इस पर राजदीप ने कहा कि वह काफिले में था। घटना के कुछ दिन बाद मंत्री के बेटे को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं गुरविंदर के परिवार ने दावा किया कि उसकी मौत गोली लगने से हुई। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली का जिक्र नहीं था। गुरविंदर के चाचा मिस्किन सिंह ने कहा, ‘सरकार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट गलत साबित करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया होगा। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने दावा किया कि उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।’ घटना के वक्त मिस्कीन मौके पर नहीं थे। प्रदर्शनकारियों को ‘खालिस्तानी’ कहने के सवाल पर दलजीत के चाचा शेर सिंह ने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है जब वे किसानों के विरोध को बदनाम कर रहे हैं।’ हालांकि किसानों के परिवारों ने अपने बच्चों को खो दिया है लेकिन वे अंतिम सांस तक किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्धता जता रहे हैं। उनका कहना, ‘यह हमारे अधिकारों की लड़ाई है, हम तब तक लड़ेंगे जब तक हमें अपने भाइयों के बलिदान का न्याय नहीं मिल जाता।’ शोक संतप्त परिवार इन आरोपों से दुखी है कि हिंसा भड़काने के इरादे से बाहर से लोग आए थे। शेर सिंह ने कहा, आप वीडियो में सुनाई दे रही आवाजों और आग की लपटों को देखें। यह स्पष्ट हो जाता है कि उनके पास हथियार थे और हिंसा की पहले से योजना बनाई गई थी।’